आध्यात्म
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक राम मंदिर भूमिपूजन की तारीख है अशुभ, जानिए वजह
अयोध्या में पांच अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी राम मंदिर का भूमिपूजन करने जा रहे हैं लेकिन अगर ग्रहों ओर शास्त्रों की बात मानी जाए तो पांच अगस्त का दिन किसी भी शुभ काम के लिए ठीक नहीं बताया गया है, आइए इस रिपोर्ट में जानते है कि आखिर क्यूं ऐसा कहा जा रहा है।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 5 अगस्त को गुरु वक्री स्वराशि में और शनि वक्री स्वराशि में होगा, शुक्र वृषभ राशि स्वराशि में होगा सूर्य कर्क राशि में होगा और तो और चंद्रमा कुंभ राशि में होगा। मंगल मीन राशि में होगा पाप कर्तरी योग भी इसी दिन बनेगा, पीएम नरेंद्र मोदी की कुंडली में पाप कर्तारी योग उस वक्त होगा, जिसमें 5 अगस्त को वो शिलान्यास करेंगे ।
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5 अगस्त को पंचक चल रहा होगा इसके साथ ही भद्रा मध्यकाल की होगी और धनिष्ठा नक्षत्र होगा 9:28 तक तत्पश्चात शतभिषा नक्षत्र होगा। भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि होगी श्री हरि विष्णु शयन कर रहे हैं, तो देव शक्तियां भी शयन करती हैं। ऐसे में इस समय पूजन व दूसरे मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं होता, इन्हीं सब कारणों से कहा जाता है 5 अगस्त के दिन तिथि मुहूर्त शुभ नहीं है।
यद्यपि राम ब्रह्म है, तो तिथि मुहूर्त लगन आदि का कोई फर्क नहीं पड़ेगा, फिर भी हम सब मानव है मानव पर योग लगन तिथि मुहूर्त का प्रभाव पड़ता है और मंदिर हम सब बना रहे। ऐसे में शास्त्र सम्मत होता तो मानव जाति के लिए और भी अच्छा होता।
राम मंदिर का भूमिपूजन सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए बड़ी बात है। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कही जा रही ये बातें राम मंदिर निर्माण पर कितना असर डालती हैं ये तो वक्त ही बताएगा।
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आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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