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आध्यात्म

अयोध्या में भक्तिमय हुए सीएम योगी, गर्भ गृह के पत्थरों पर लिखा ‘जय श्री राम’

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राम जन्मभूमि परिसर में ऐतिहासिक भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। इसमें हर कोई अपना योगदान दे रहा है तो इसकी मख्यमंत्री दूसरे कार्यकाल की शपथ लेने के बाद अयोध्या पहुंचे रामलला का दर्शन आरती की और निर्माण स्थल पर मंदिर में लगाए पत्रों पर अपने हाथों से जय श्री राम लिखा दरसल राम मंदिर निर्माण कार्य में मंदिर के फर्श को तैयार करने के लिए कर्नाटक के ग्रेनाइट पत्थरों से चबूतरा बनाया जा रहा है।

मंदिर निर्माण के पत्थरों पर अंकित किये जा रहे राम का नाम

राम जन्मभूमि परिसर में चल रहे मंदिर निर्माण कार्य में राम मंदिर के फर्श को तैयार करने के लिए 21 फुट ऊंचा चबूतरा बनाया जा रहा है। इसके लिए कर्नाटक के ग्रेनाइट पत्थरों के ब्लाक को जोड़ा जा रहा है। लेकिन कार्य के दौरान ऐतिहासिक और यादगार बनाने के लिए विशेष रंग से स्टाम्प के जरिए श्री राम का नाम अंकित किया जा रहा है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के इंजीनियर जगदीश अफले इस कार्य की पुष्टि की है कि लगाई जा रही हर एक पत्रों में इस की तरह स्टांप के जरिए भगवान राम के नाम को दर्शाया जा रहा है।

मंदिर निर्माण को देख भावुक हुए सीएम योगी

राम जन्मभूमि परिसर में चल रहे मंदिर निर्माण के दौरान देशभर से लाखों राम भक्तों द्वारा पूजित भेजी गई शिलाओं को भी परिसर में लगाए जाने के लिए पहुंचाए जाने का क्रम किया जा रहा है लेकिन इस दौरान 1 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राम जन्मभूमि परिसर पहुंचे थे उस दौरान भी इन्हें शिलाओं की जानकारी दी गई। तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाव विभोर होकर गर्भगृह के पास लगाए जा रहे पत्थर पर जय श्री राम के स्टाम्प को लगाने के लिए खुद को नहीं रोक पाए।

राम मंदिर से गोरखपुरपीठ का है पुराना नाता

राम जन्मभूमि परिसर में रखे जा रहे श्री राम शिला उनके पूज्य गुरु दिवंगत अवैद्यनाथ की यादें जुड़ी हुई है। दरसल 1989 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान देश भर से लाखों श्रद्धालुओं ने एक रुपये और एक शिला मंदिर निर्माण के अयोध्या भेजे गए थे। और यह देश का सबसे बड़ा आयोजन किया गया था। इस दौरान इस आंदोलन का नेतृत्व भी गोरक्षपीठ के महंत अवैद्यनाथ के द्वारा किया जा रहा था।

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आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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