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अयोध्या मुद्दे पर बन चुकीं हैं ये 5 फिल्में, आखिरी वाली रिलीज के पहले हो गई थी लीक

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बीते 6 दिसंबर को अयोध्या के बाबरी मुद्दे की 26वीं बरसी थी। 6 दिसंबर साल 1992 को विवादित ढांचा कारसेवकों द्वारा गिरा दिया गया था। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश सहित भारत के कई इलाकों में दंगे जैसी स्थिति बन गई थी। 1992 के बाद कई सांप्रदायिक दंगे देखने को भी मिले। वहीं फिल्म निर्देशकों-निर्माताओं ने बाबरी मस्जिद की घटना को फिल्मों के जरिए भी दिखाने की कोशिश की। तो आइए जानते उन्हीं फिल्मों के बारे में जो उस दौर को केंद्रित कर बड़े पर्दे पर फिल्माई गयी।

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बॉम्बे – यह फिल्म साल 1995 में आई थी। फिल्म बॉम्बे साल 1992 में हुए बाबरी मुद्दे के बाद जगह-जगह हुए दंगों पर आधारित फिल्म है। ये तेलुगु भाषी फिल्म है। इस फिल्म में अरविंद स्वामी और मनीषा कोइराला लिड रोल में थे। इस फिल्म का निर्देशन मणिरत्नम ने किया था।

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नसीम – यह फिल्म साल 1995 में आई थी। यह फिल्म भी अयोध्या के विवादित मुद्दे पर आधारित थी। इस फिल्म का निर्देशन शाहिद अख्तर मिर्जा ने किया था। फिल्म की कहानी एक छोटी बच्ची और उनके दादा पर आधारित है। इस फिल्म को कई अवार्ड मिले हैं।

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सेक्रेड गेम्स – यह वेब सीरीज इसी साल स्टीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफिलिक्स पर रिलीज हुई है। इस फिल्म में सैफ अली खान, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और राधिका आप्टे जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में थे। इस वेब सीरीज का निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया है। सेक्रेड गेम्स में भी अयोध्या मुद्दे का जिक्र किया गया है।

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गेम ऑफ अयोध्या – इस फिल्म का निर्देशन सुनील सिंह ने किया था। यह फिल्म पिछले साल आई थी, लेकिन इसको रिलीज से पहले ही बैन कर दिया गया। बताया जाता है कि इस फिल्म में अयोध्या मुद्दे से जुड़े सभी राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बहुत अच्छे से प्रदर्शित किया गया था।

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मोहल्ला अस्सी – हाल ही में रिलीज हुई सनी देओल की फिल्म मोहल्ला अस्सी में भी बाबरी मुद्दे जैसे विषय को दिखाया गया हैै। यह फिल्म भले ही अयोध्या मुद्दे पर आधारित न हो, लेकिन फिल्म की कहानी में इस घटना का अहम रोल है। इस फिल्म का निर्देशन चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने किया है।

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पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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