आध्यात्म
दिवाली से पहले तुरंत हटा दें ये अशुभ चीजें, वरना घर नहीं आएंगी मां लक्ष्मी
साल के सबसे मोस्ट अवेटेड त्यौहार दिवाली की सेलिब्रेशन शुरू हो चुकी है। हर तरफ दिवाली का उल्लास दिखाई पड़ रहा है। एक दूसरे को दिवाली पर गिफ्ट देने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। लेकिन, दिवाली का दिन है, लक्ष्मी जी का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। दिवाली कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि को मनाया जाता हैं।
इस बार 7 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। दीपावली आने से पहले ही इसकी तैयारी काफी दिनों पहले से होने लगती है। ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी ऐसे घर में नहीं जाती हैं जहां पर गंदगी और और अशुभ चीजें रहती है। मां लक्ष्मी को साफ-सफाई बहुत पसंद होती है। ज्योतिष और वास्तुशास्त्र के अनुसार दीपावली पर घर में टूटी-फूटी चीजें नहीं होनी चाहिए। आइए जानते हैं, इस बारे में –
खराब इलेक्ट्रिक समान – यदि आपके घर में कोई इलेक्ट्रिक समान खराब पड़े हैं तो उसे बनवाकर दोबारा इस्तेमाल में ले या फिर दिवाली से पहले घर से बाहर करना न भूलें।
टूटे हुए शीशे की चीजें – यदि आपके घर के किसी भी कोने में टूटा हुआ शीशा रखा है या फिर आपकी खिड़की में टूटे हुए शीशे लगे हैं तो उसे तुरंत घर से बाहर करें और उसकी जगह नया शीशा लगवाएं।
छत के हिस्से को रखें साफ-सुथरा – इस दिवाली के पहले घर की छत साफ करें और पहले से पड़े हुए कूड़ा-कबाड़ या प्रयोग में न लाया जाने वाले समान को घर से बाहर कर दें।
खंडित मूर्तियां – कभी भूलकर भी किसी देवी-देवता की खंडित मूर्ति या तस्वीर की पूजा नहीं करनी चाहिए। दुर्भाग्य को दूर करने के लिए दिवाली से पहले ऐसी फोटो और मूर्तियों को जरूर किसी पवित्र स्थान में ले जाकर दबा दें।
बंद पड़ी घड़ी को हटा दें – वास्तु अनुसार घड़ी आपके प्रगति का प्रतीक होती है। ऐसे में बंद घड़ी निश्चित रूप से आपके उन्नति में बाधक है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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