आध्यात्म
द्वारका आने से ‘महाभारत’ तक कैसा श्रीकृष्ण का जीवन, जानिए पूरी कहानी
मथुरा। वर्तमान द्वारका नगर कुशस्थली के रूप में पहले से ही विद्यमान थी। कृष्ण ने इसी उजाड़ हो चुकी नगरी को फिर से बसाया था। कृष्ण अपने 18 नए कुल-बंधुओं के साथ गुजरात के तट पर बसी कुशस्थली आकर बस गए।
अपनी नगरी का किलाबंद कर दिया-
यहीं पर उन्होंने भव्य नए द्वारका नगर का निर्माण कराया और संपूर्ण नगर को चारों ओर से मजबूत दीवार से किलाबंद कर दिया।
द्वारिका पर श्रीकृष्ण ने 36 वर्ष किया राज-
भगवान कृष्ण ने यहां 36 वर्ष तक राज किया। यहां वे अपनी 8 पत्नियों के साथ सुखपूर्वक रहते थे।
द्वारिका से किया महाभारत का संचालन-
यहीं रहकर वे हस्तिनापुर की राजनीति में शामिल रहे। यहीं से उन्होंने संपूर्ण महाभारत का संचालन भी किया।
अपने वंशजों को आपस में लड़ता देख हुए दुखी-
भगवान कृष्ण यदुओं को आपस में लड़ता देख व अपने कुल का नाश देखकर बहुत दुखी हुए। उनसे मिलने कभी-कभार युधिष्ठिर आते थे।
(रिपोर्ट : द्वारकेश बर्मन)
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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