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आध्यात्म

कृष्ण की जीवन लीलाएं : कंस वध के बाद क्या हुआ श्री कृष्ण का?

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मथुरा। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भद्र मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन रात 12 बजे हुआ था। कृष्ण विष्णु के 8वें अवतार हैं जिन्होंने द्वापर युग में जन्म लिया, ताकि वो लोगों को अपने मामा कंस द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों से बचा सकें। चूंकि भगवान विष्णु सीधे इस धरती पर अवतरित हुए और यह उनका भौतिक अवतार था इसलिए उस दिन को कृष्णाष्टमी या जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से तो हम सभी वाकिफ़ हैं। बाल्यावस्था से लेकर युवावस्था तक उन्होंने अचंभित करने वाली घटनाओं को सबके सामने अंजाम दिया। ऐसी ही कुछ घटनाओं के बारे में हम आपको बताएंगे।

1. मथुरा में जन्में श्रीकृष्ण-

भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनका बचपन गोकुल, वृंदावन, नंदगाव, बरसाना आदि जगहों पर बीता।

2. देवराज इन्द्र के घमंड को किया चूर-

अपनी कई हैरान करने वाली लीलाओं के दौरान श्रीकृष्ण ने असुर, दैत्यों से लेकर देवराज इन्द्र तक के गुरूर को चूर कर दिया था।

3. क्रूर शासक कंस का वध-

अपने मामा कंस का वध करने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता को कंस के कारागार से मुक्त कराया और फिर जनता के अनुरोध पर मथुरा का राजभार संभाला। मथुरा की जनता भी कंस जैसे क्रूर शासक से मुक्त होना चाहती थी।

4. जरासंध बना कृष्ण का कट्टर शत्रु-

कंस के मारे जाने के बाद कंस का ससुर जरासंध कृष्ण का कट्टर शत्रु बन गया। जरासंध मगध का अत्यंत क्रूर एवं साम्राज्यवादी का शासक था।

5. जरासंध ने कई राजाओं को किया अपने अधीन-

हरिवंश पुराण के अनुसार उसने काशी, कोशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, कलिंग, पांड्य, सौबीर, मद्र, कश्मीर और गांधार के राजाओं को परास्त कर सभी को अपने अधीन बना लिया था।

6. कृष्ण से बदला लेने का किया प्रयास-

कृष्ण से बदला लेने के लिए जरासंध ने पूरे दल-बल के साथ शूरसेन जनपद मथुरा पर एक बार नहीं कई बार चढ़ाई की। लेकिन हर बार वह असफल रहा।

7. जरासंध ने 18 बार मथुरा पर किया आक्रमण-

पुराणों के अनुसार जरासंध ने मथुरा पर शासन के लिए 18 बार मथुरा पर चढ़ाई की। इस दौरान वह 17 बार असफल रहा।

8. कालयवन का भी लिया साथ-

मथुरा पर अंतिम बार आक्रमण के लिए उसने एक विदेशी शक्तिशाली शासक कालयवन को भी मथुरा पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित किया।

9. युद्ध में मारा गया कालयवन-

लेकिन युद्ध में कालयवन के मारे जाने के बाद उस देश के शासक और उसके परिवार के लोग भी कृष्ण के दुश्मन बन गए।

10. कृष्ण ने अपने वंशजों के साथ छोड़ा मथुरा-

अंत में कृष्ण ने सभी यदुओं के साथ मिलकर मथुरा को छोड़कर जाने का फैसला किया। विनता के पुत्र गरुड़ की सलाह पर कृष्ण कुशस्थली आ गए।

(रिपोर्ट : द्वारकेश बर्मन)

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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