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अगर चीन भारत से चावल खरीदेगा, तो देश में बढ़ेगा गैर-बासमती चावल का निर्यात

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पिछले सप्ताह अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद भारतीय कृषि उत्पादों के लिए चीन को संभावित बड़े बाज़ार के रूप में देखा जा रहा है। मगर, बाज़ार के जानकारों की माने तो भारत से किसी भी कृषि उत्पाद का निर्यात अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उसकी कीमत पर निर्भर करेगा।

पंजाब बासमती राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता आशीष कथुरिया ने बताया,” भारत पहले से ही चावल का प्रमुख निर्यातक है और चीन अगर भारत से चावल खरीदेगा तो गैर-बासमती चावल का निर्यात बढ़ सकता है।”

भारत सिर्फ उन्हीं उत्पादों का निर्यात कर पाएगा जिनका निर्यात पहले से ही हो रहा है। बाकी उत्पादों का निर्यात तभी संभव होगा जब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी देशों के उत्पादों से सस्ते होंगे।

आशीष कथुरिया ने कहा कि चीन में पानी की कमी के कारण बहुत सारी फसलों की खेती वहां कम हो गई, जिससे वह चावल समेत कई खाद्यान्नों का आयात करने लगा है। चीन में गैर-बासमती चावल की खपत है और वह अगर हमसे चावल खरीदता है तो हमारा गैर-बासमती चावल का निर्यात 20-25 फीसदी बढ़ सकता है।

एपीडा के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का गैर-बासमती चावल निर्यात वर्ष 2017-18 में 86,33,237 टन रहा जिसका मूल्य 22,927 करोड़ रुपए था जो कि पिछले साल के मुकाबले 35.42 फीसदी ज्यादा है।

इस साल फरवरी में जारी फसल वर्ष 2017-18 के द्वितीय अग्रिम उत्पादन के मुताबिक, भारत में चावल का उत्पादन 11.10 करोड़ टन हो सकता है। हालांकि कृषि विशेषज्ञ उत्पादन में और बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं।

नकदी फसलों में भारत रूई (कपास) का सबसे बड़ा उत्पादक है और चीन हमेशा से इसका बड़ा बाजार रहा है। मगर विगत वर्षो में चीन का झुकाव अमेरिका की तरफ होने से भारत से उसकी खरीदारी कम हुई है। हालांकि चीन भारत कॉटन यार्न यानी धागों का आयात करता रहा है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रमुख अतुल गंतरा के मुताबिक इस साल चीन भारत से 10-15 लाख गांठ (170 किलोग्राम प्रति गांठ) रूई खरीदेगा जबकि अगले साल भारत कम से कम 30 लाख गांठ रूई चीन को निर्यात करेगा। उन्होंने कहा कि मोदी-जिनपिंग की वार्ता के बाद चीन के साथ भारत का व्यापार सुगम होगा।

उधर, सोयाबीन निर्यात पर सोयाबीन प्रोसेर्स एसोएिशन ऑफ इंडिया के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डी. एन. पाठक ने कहा, हमारे पास सोयाबीन की पैदावार उतनी नहीं है कि हम निर्यात करें क्योंकि खाद्य तेल की खपत हमारी जितनी है उतना हमारा उत्पादन नहीं है और हमें अपनी जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। मगर, हम सोयामील का निर्यात करते हैं। अगर, चीन को सोयामील का निर्यात होता है तो निस्संदेह इससे किसानों और घरेलू मिलों को फायदा मिलेगा। हालांकि उन्होंने कहा, निर्यात तभी संभव है जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्राजील, अर्जेटीना और अमेरिका के मुकाबले भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी हो।

भारत में इस साल चीनी, गेहूं और मक्के का भी रिकॉर्ड उत्पादन है। मगर, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का मूल्य भारतीय बाजार के मुकाबले करीब 1,000 रुपये प्रति क्विं टल ज्यादा है। यही कारण है कि भारतीय चीनी उद्योग सरकार से निर्यात प्रोत्साहन की मांग कर रहा है। उधर, गेहूं भी यूक्रेन और रूस में भारत के मुकाबले सस्ता है। मक्का भी भारत के मुकाबले अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सस्ता है। ऐसे में इन खाद्यान्नों का निर्यात संभव नहीं है।

कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा कहते हैं कि जिस देश में लोग भूखे रहते हों उसे खाद्यान्नों के निर्यात के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।

उधर, दलहनों का उत्पादन ज्यादा होने के कारण घरेलू बाजार में दलहनों में छायी सुस्ती से उबरने और किसानों को वाजिब दाम दिलाने के मकसद से सरकार ने दलहन निर्यात से इस साल प्रतिबंध हटा लिया। मगर निर्यात में कोई ज्यादा फर्क नहीं आया क्योंकि भारत दलहनों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ उपभोक्ता भी है। अन्य देशों में इसकी खपत कम है।

इंडियन पल्सेस एंड ग्रेन एसोसिएशन के सदस्य प्रदीप जिंदल ने कहा, हमारे पास जिन दलहनों का उत्पादन ज्यादा है उसके लिए चीन में कोई बाजार नहीं है। हम खुद राजमा चीन से आयात करते हैं।

प्रधानमंत्री ने पिछले सप्ताह अपने चीन दौरे पर चीनी राष्ट्राध्यक्ष से जिन मुद्दों पर बातचीत की उनमें व्यापार के मसले अहम थे।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी उत्पादों के आयात पर भारी शुल्क लगाने पर जवाबी कार्रवाई करते हुए चीन ने भी कुछ अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क लगाने की घोषणा कर दी। दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियों के बीच व्यापारिक हितों के टकराव से व्यापारिक जंग का खतरा पैदा हो गया था। हालांकि दोनों देशों के बीच तनाव में थोड़ी नरमी जरूर आई है लेकिन चीन अपनी जरूरतों की निर्भरता अमेरिका पर कम करने के लिए दुनिया के अन्य देशों के बाजारों का रुख कर रहा है। इसी क्रम में भारत के साथ उसके व्यापारिक रिश्तों में सुधार देखा जा रहा है।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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