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अन्तर्राष्ट्रीय

2100 से ज्यादा मौतों के बाद भूकंप के ताजा झटकों से दहला नेपाल

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काठमांडू। हिमालय की गोद में बसा नेपाल अभी शनिवार को आए भीषण जलजले से उबर नहीं पाया था कि रविवार को एक बार फिर यहां पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। इन झटकों की रिएक्टर पैमाने पर तीव्रता 6.9 मापी गई। बचाव दल शनिवार को आए भूकंप में फंसे लोगों को बचाने की कोशिशों में लगे हुए हैं। नेपाल में शनिवार को आए भूकंप में अब तक 2123 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। नेपाल पुलिस ने रविवार को कहा कि शनिवार को आए विनाशकारी भूकंप में अब तक 2,123 लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस अधिकारी ने यहां मीडियाकर्मियों को बताया कि भूकंप में 4,627 लोग घायल हो गए हैं।

काठमांडू घाटी में रविवार अपराह्न 12.54 बजे आए इस भूकंप से हजारों लोग भयभीत हो गए और अपने घरों से बाहर निकल आए। जबकि नेपाल अभी शनिवार की भीषण तबाही से उबरने के प्रयासों में लगा हुआ है। रविवार को आए भीषण भूकंप का केंद्र दक्षिणी कोडारी से 17 किलोमीटर दूर स्थित है। यह स्थान राजधानी काठमांडू से 110 किलोमीटर दूर है। रविवार को आए भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था, जबकि शनिवार को आए भूकंप का केंद्र 15 किलोमीटर नीचे था।

नेपाल में शनिवार को आए भूकंप के बाद काठमांडू घाटी और अन्य जिलों में सैनिक, पुलिसकर्मी और अन्य सरकारी एजेंसियों के सभी कर्मचारी पूरे जोर-शोर से राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं। भारत और कई अन्य देशों ने नेपाल के लिए तत्काल सहायता भेजी है। इस बीच रविवार को दोबारा से जलजला उठा। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, एक दिन पहले शनिवार को नेपाल में आए 7.9 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप और पड़ोसी देश भारत, भूटान और तिब्बत पर उसके प्रभाव के कारण अबतक 2123 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार को आए भूकंप का केंद्र लामजुंग जिले में स्थित था, जो कि राजधानी काठमांडू के उत्तरपश्चिम में करीब 75 किलोमीटर दूर है।

नेपाल के गृह मंत्रालय का कहना है कि भूकंप के 50 से अधिक झटके महसूस किए जा चुके हैं। राजधानी काठमांडू में मौजूद संवाददाता ने कहा, “झटके अभी तक आ रहे हैं।” अतिरिक्त नुकसान के डर और परेशानी के बीच काठमांडू में रहने वाले सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर रात बिताई। धर्मादा संगठन और सरकारी एजेंसियां बेघरों को भोजन-पानी उपलब्ध करा रही हैं।

गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक, अकेले काठमांडू में 723 लोग मारे गए हैं, जबकि राजधानी से 13 किलोमीटर दूर भक्तपुर में 205 लोगों की मौत हुई है। राजधानी से पांच किलोमीटर दूर ललितपुर में 125 लोग मारे गए हैं। मरने वालों में दो विदेशी और दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। बयान में चेताया गया है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। इस आपदा में 4,627 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

नेपाली मीडिया की रपट के मुताबिक, सिंधुपालचौक जिले में 80 लोगों की मौत हुई है। सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है और क्षतिग्रस्त अवसंचनाओं के पुनर्निर्माण के लिए 50 करोड़ नेपाली रुपये का कोष बनाने की घोषणा की गई है। नेपाल के समाचार पत्र कांतीपुर डेली के मुताबिक, पूरे दिन आने वाले झटकों में बसंतपुर दरबार स्थित 80 फीसदी मंदिर तबाह हो चुके हैं। धरहरा में मीनार के मलबे में से करीब दो दर्जन शव बरामद हुए हैं। 83 साल पहले इसी प्रकार के एक भूकंप में धरहरा कई भागों में टूट गई थी।

इतिहासकार पुरुषोत्तम लोचन श्रेष्ठ ने कांतीपुर डेली को बताया, “हमने काठमांडू, भक्तपुर और ललितपुर में ऐसे ज्यादातार स्मारकों को खो दिया है जिन्हें विश्व धरोहरों में शामिल किया गया था। उन्हें उनकी मूल अवस्था में पुनस्र्थापित नहीं किया जा सकता।”

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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