Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

13 किलो सोना पहनकर कांवड़ यात्रा में चलता है यह साधू  

Published

on

हरिद्वार, कांवड़ यात्रा, गोल्डान बाबा, आभूषण, आकर्षण, अंगूठियां, गर्व

Loading

मेरठ। हरिद्वार से गंगा जल लेकर कांवड़ यात्रा पर निकले गोल्‍डन बाबा सभी के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उन्‍होंने अपने शरीर पर 13 किलो सोने के आभूषण धारण कर रखे हैं।

गले में सोने की ढेर सारी चेन, हाथों पर सोने के कवच और उंगलियों में अंगूठियां पहने इस साधू को लोग गर्व के साथ गोल्डन बाबा के नाम से पुकारते हैं।

वैसे तो गोल्‍डन बाबा भगवा चोला पहनते हैं। जो तमाम सांसारिक चीजों की मोह-माया से दूर रहने का संदेश देता है। वहीं
दूसरी तरफ बाबा का जिस्म का आधे से ज्यादा हिस्सा सोने के जेवरों से लदा है, जो दोनों इस दुनियावी मोह-माया में डूबे होने का सबूत है।

हरिद्वार, कांवड़ यात्रा, गोल्डान बाबा, आभूषण, आकर्षण, अंगूठियां, गर्व

उधर, बाबा का कहना है, ”पहले मैं 15 किलो सोना पहनता था। गले के ऑपरेशन की वजह से इसे 2 किलो कम करना पड़ा।’
सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा ने बताया कि पहली बार जब एक कांवड़ ले गया तो 250 रूपए का खर्चा आया था। अब मेरी ये 25वीं यानी सिल्वर जुबली कांवड़ यात्रा है।

बाबा के मुताबिक, ‘मैं 1973 से तीन से चार तोला सोना पहनता आ रहा हूं। उस वक्त इसका मूल्य 250 रुपए प्रति तोला था। धीरे-धीरे 13 किलो पहनने लगा। फिर लोग मुझे गोल्डन बाबा बुलाने लगे। ज्यादा गोल्ड पहनने की वजह से गले की नस दब गई थी। इसके बाद ऑपरेशन हुआ, इसलिए अब 13 किलो ही पहना है।

गोल्ड मेरे इष्ट देवता हैं, इसलिए इसका मूल्य नहीं लगा सकता। ये मेरे लिए बहुमूल्य है। मैं इनकी पूजा-आराधना करता हूं। पहले सिर्फ भोलेनाथ का लॉकेट गले में था, लेकिन अब सभी देवी देवताओं के लॉकेट पहनता हूं।’

बाबा के सोने के जेवरों की हिफाजत के लिए प्रशासन ने बाकायदा बंदूकधारी पुलिसवालों को भी ड्यूटी पर लगा दिया है। इस पूरी कांवड़ यात्रा के दौरान ये पुलिसवाले भी साए की तरह बाबा से चिपके रहते हैं।

पुलिसवालों के साथ-साथ 30 प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स से घिरे बाबा इस साल भी अपने काफिले में दो फॉर्च्यूनर, दो इनोवा, दो क्वालिस, दो स्कॉर्पियो, तीन बड़े ट्रक, पांच मिनी ट्रक, एक एंबुलेंस और चार टाटा छोटा हाथी गाड़ियां लेकर चल रहे हैं। साथ ही बाबा के साथ सैकड़ों भक्त भी चल रहे हैं।

दिल्ली के इन गोल्डन बाबा का ये अवतार जितना दिलचस्प है। बाबा का अतीत और आधा वर्तमान कहीं उससे भी चौंकाने वाला है। गोल्डन बाबा एक तरफ वचन, प्रवचन, साधुगीरी के साथ धर्म की दुकान चलाते हैं तो वहीं, दूसरी तरफ थाने में भी इनका बही-खाता है।

किडनैपिंग, फिरौती, जबरन वसूली, जान से मारने की धमकी समेत बाबा पर इस वक्त करीब तीन दर्जन मुकदमें चल रहे हैं। बता दें कि बाबा पूर्वी दिल्ली के पुराने हिस्ट्रीशीटर हैं।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending