Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

हाथियों के डर से झारखंड में पेड़ों पर रह रहे परिवार

Published

on

Loading

 

हाथियों के डर से झारखंड में पेड़ों पर रह रहे परिवाररांची | झारखंड की राजधानी रांची के पास हाथियों के उत्पात के डर से कम से कम चार परिवार पेड़ों पर रहने के लिए मजबूर हैं। रांची के पास गांवों में रहने वाले एवं रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से यात्रा करने वाले लोगों के बीच हाथियों के झुंड ने डर पैदा कर दिया है।

हाथियों के इधर-उधर भटकने के कारण राजमार्ग कई घंटे तक वीरान रहा ।

रांची से 45 किलोमीटर दूर बुंडु गांव के लोहराटोला में रहने वाले कुछ परिवारों ने पेड़ों पर ही अपना ठिकाना बना लिया है। वे खुद को हाथियों से बचाने के लिए पेड़ों पर ही सोते हैं।

हाथियों के एक झुंड ने पिछले साल उनके घरों को बर्बाद कर दिया था। ये परिवार अपना गांव छोड़ चुके हैं और खेतों के जरिए खुद को जिंदा रखे हुए हैं क्योंकि इनके पास कृषि भूमि है।

पेड़ों पर रहने वाले परिवार के मुखिया जानकी मुंडा ने कहा, दिन के समय हम लोग खेती के काम में लगे रहते हैं। बच्चे हाथियों पर फेंकने के लिए इंटों के छोटे-छोटे टुकड़े एकत्र करते रहते हैं।

गांव में 15 से अधिक परिवार हैं और सभी अपनी आजीविका के लिए खेती पर ही निर्भर हैं।

गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है जो झारखंड में विकास कार्य कराने के राज्य सरकार के दावे का पर्दाफाश करता है।

परीक्षित लोहरा ने कहा, हमलोगों को अपना बचाव खुद करने के लिए छोड़ दिया गया है। हम लोग खेती करके ही अपना जीवन चलाते हैं। हमारे पास अपने को जिंदा रखने के लिए कोई और विकल्प नहीं है। हमलोगों को हाथियों का डर सताते रहता है। हम लोगों ने पेड़ों पर ही ठिकाना बना लिया है।

झारखंड हाथियों के उत्पात के कारण बड़ी पैमाने पर तबाही का गवाह रहा है।

हाथियों के झुंड खड़ी फसलों और घरों को तबाह कर देते हैं और लोगों को मार डालते हैं। वर्ष 2000 के नवंबर में जब से बिहार को काटकर झारखंड का गठन हुआ है तब से अब तक 1000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

राज्य में हाथियों की संख्या वर्ष 2007 में जहां 624 थी वह 2022 में बढ़कर 688 हो गई।

 

विभिन्न कारणों से कम से कम 154 हाथियों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है। इनमें बिजली का करेंट लगने से, रेल ट्रैक पार करते समय पटरी पर कटने से या जहरीला पदार्थ खा लेने से।

 

विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों ने हाथियों के आने-जाने के रास्ते में घर बना लिया है इसी वजह से यह टकराव हो रहा है।

 

झारखंड के वन एवं पर्यावरण सचिव सुखदेव सिंह ने कहा, हम लोग पेड़ों पर रहने वाले परिवारों को हर संभव मदद के लिए तत्काल एक वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम भेजेंगे। हर संभव सहायता दी जाएगी।

प्रादेशिक

बिहार के भागलपुर में भोजपुरी एक्ट्रेस का फंदे से लटकता मिला शव, वाट्सएप पर लगाया था ऐसा स्टेटस

Published

on

Loading

भागलपुर। बिहार के भागलपुर में भोजपुरी एक्ट्रेस अन्नपूर्णा उर्फ अमृता पांडेय की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई मरने से पहले अमृता पांडे ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लिखा है कि दो नाव पर सवार है उसकी जिंदगी…हमने अपनी नाव डूबा कर उसकी राह को आसान कर दिया। अमृता के इस स्टेटस से कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने सुसाइड किया है। हालांकि पुलिस अभी इस मामले पर कुछ भी बोलने से बच रही है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असली कारणों का पता चलेगा।

परिवार वालों ने बताया कि करीब 3.30 बजे अमृता की बहन उसके कमरे में गई। वहां वह फंदे से लटकी हुई थी। आनन फानन में उसके फंदे से चाकू से काट​कर तत्काल परिवार वाले स्थानीय निजी अस्पताल ले गए, लेकिन वहां उसे मृत बता दिया गया। परिजनों ने बताया कि शुक्रवार की रात उन लोगों ने काफी मस्ती की थी। फिर अचानक से क्या हुआ। किसी को समझ नहीं आ रहा। परिजनों ने बताया कि अमृता की शादी 2022 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी चंद्रमणि झांगड़ के साथ हुई थी। वे मुंबई में एनिमेशन इंजीनियर हैं। अब तक उन लोगों को बच्चे नहीं हैं।

अमृता ने मशहूर भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव समेत कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया है. साथ ही कई सीरियल, वेब सीरज और विज्ञापन में भी काम किया है। बहन के मुताबिक, अमृता कैरियर को लेकर काफी परेशान रहती थी। वह काफी डिप्रेशन में थी। इस वजह से वह इलाज भी करा रही थी। अमृता भोजपुरी फिल्मों के अलावा कुछ वेब सीरीज में काम में रही थी. हाल ही में अमृता की हॉरर वेब सीरीज प्रतिशोध का पहला भाग रीलिज हुआ है।

Continue Reading

Trending