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हेल्थ

हाईजीन को जरूरी डिस्‍पोजेबल सैनिटरी नैपकिन बने पर्यावरण के लिए चुनौती

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पर्यावरण, डिस्पोनजेबल सैनिटरी नैपकिन, महिला

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(विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष)

नई दिल्ली। जब भी कोई महिला डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन खरीदती है तो उसके दिमाग में लंबे समय तक चलने वाला, आरामदायक, दाग मुक्त और सस्ता होने की बात रहती है।

ज्यादातर महिलाएं यह नहीं जानतीं कि भारत में हर महीने एक अरब से ज्यादा सैनिटरी पैड गैर निष्पादित हुए सीवर, कचरे के गड्ढों, मैदानों और जल स्रोतों में जमा होते हैं, जो बड़े पैमाने पर पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं।

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भारत में महिलाओं की मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतिया व अंधविश्वास के साथ इस्तेमाल होने वाले सैनिटरी पैड का सुरक्षित तरीके निपटारा होना बड़ी चुनौती है।

भारत सरकार सभी महिलाओं और लड़कियों को, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराना सुनिश्चित कर रही है। वहीं विशेषज्ञ सैनिटरी पैड के निस्तारण के मुद्दे पर खास ध्यान दे रही है , जो हर साल करीब 113,000 टन निकलता है।

शायद इस समस्या को महसूस करने के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार पिछले साल नए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्लयूएम) नियम को ले आई, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना स्थित गैर-लाभकारी संगठन आरटीआई इंटरनेशनल के वरिष्ठ निदेशक माइल्स एलेज ने कहा, “कुछ भारतीय राज्य और शहरों ने ठोस कचरा निस्तारण या प्रबंधन पर ध्यान दिया है और विद्यालयों तथा संस्थानों में इस तरह के कचरा निस्तारण के लिए भट्ठियां लगाई हैं, लेकिन ऐसा बड़े पैमाने पर नहीं है।”

एलेज ने ईमेल साक्षात्कार में बताया, “मासिक धर्म से संबंधित कचरे के निस्तारण के मुद्दे पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) एक उपेक्षित मुद्दा है और डिस्पोजल इसके संदर्भ में शायद सबसे उपेक्षित विषय है।”

केरल स्थित सस्टेनेबल मेन्स्ट्रएशन केरल कलेक्टिव एनजीओ की सक्रिय कार्यकर्ता श्रद्धा श्रीजया बायो-डिग्रेडेबल और टॉक्सिन फ्री सैनिटरी उत्पाद का प्रचार करती हैं। उनका (श्रीजया) मानना है कि भारत सैनिटरी कचरे के निपटारे में बहुत पीछे है और उन्होंने नए नियमों को बहुत कमजोर बताया।

जल क्षेत्रों में साफ-सफाई और स्वच्छता संबंधी काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय चैरिटी वाटरऐड इंडिया में नीति -प्रबंधक (स्वास्थ्य व पोषण में सफाई, विद्यालयों में सफाई) अरुंधती मुरलीधरन का कहना है कि भारत में बहुत बड़ी मात्रा में मासिक धर्म अपशिष्ट निकलता है और भारत सरकार इसके प्रबंधन के बारे में सोच रही है।

उन्होंने कहा, “अगर हम इस मुद्दे से निपटना नहीं शुरू करते हैं तो हमारे पास बहुत सारा नॉन-बायोजीग्रेडेबल (नष्ट न होने योग्य) कचरा जमा हो जाएगा, जिसे नष्ट करने में सैकड़ों साल लग जाएंगे।”

एक सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत में करीब 33.6 करोड़ लड़कियां और महिलाएं मासिक धर्म से गुजरती हैं, जिसका मतलब है कि उनमें से करीब 12.1 करोड़ डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं।

पाथ कंपनी द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार, एक अरब से ज्यादा नॉन-कमपोस्टेबल पैड कचरा वाले क्षेत्रों और सीवर में डाले जाते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े शहरों की ज्‍यादातर महिलाएं कॉर्मशियल डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें यहा नहीं मालूम होता कि ये उत्पाद कुछ रासायनिक पदार्थो (डायोक्सिन, फ्यूरन, पेस्टिसाइड और अन्य विघटनकारी) की मौजूदगी के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।

इसके निस्तारण की जानकारी के अभाव में ज्‍यादातर महिलाएं इसे कचरे के डिब्बे में फेंक देती हैं, जो अन्य प्रकार के सूखे व गीले कचरे के साथ मिल जाता है।

इसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता और खुले में सैनिटरी नैपकिन कचरा उठाने वाले के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश महिलाएं व लड़कियां कपड़े का इस्तेमाल करती हैं, जो उचित प्रकार से धूप में नहीं सूखा होने के कारण उनके लिए कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या पैदा कर सकता है।

पर्यावरण के समर्थक दोबारा इस्तेमाल में लाए जा सकने वाले कपड़े के पैड, बायोडिग्रेडेबल पैड और कप सहित पर्यावरण के अनुकूल सैनिटरी पैड के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं।

शी कप कंपनी के सह-संस्थापक मनीष मलानी के मुताबिक, उन्हें गरदन के कैंसर से ग्रस्त मरीजों के लिए नैदानिक किट की तलाश के दौरान मासिक धर्म संबंधी कप के बारे में पता चला।

उन्होंने कहा, “अच्छा मासिक धर्म स्वच्छता पद्धति शरीर को स्वस्थ रखता है, जिससे संक्रमण या बीमारी होने की कम संभावना होती है।” एलेज ने बताया कि वह कचरा के निस्तारण संबंधी प्रणाली को डिजाइन करने पर काम कर रहे हैं।

 

लाइफ स्टाइल

तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय

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Death due to heart diseases increasing

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नई दिल्ली। भारत में दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कॉलेस्ट्रॉल, धूम्रपान एवं आनुवंशिक कारणों से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ रही है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई आबादी में आनुवंशिक रूप से दिल की बीमारियों की संभावना अधिक होती है। दिल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय हैं, जिसे अपनाकर आप दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

सेहतमंद आहार लें

संतुलित और सेहतमंद आहार का सेवन करने से शरीर को सही पोषण मिलता है। जंक फूड में फैट, नमक और चीनी बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो समय के साथ हमारे दिल को बीमार बना देती है। अक्सर लोग बिना सोचे समझे प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं क्योंकि उन्हें यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इस तरह का भोजन हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और लो सैचुरेटेड फैट होने चाहिए।

गतिहीन जीवनशैली से बचें

बहुत से लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। आज हममें से लाखों लोग ऐसी नौकरियां करते हैं, जिसके लिए उन्हें घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना पड़ता है। व्यायाम की कमी व्यक्ति के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। यह मोटापे को जन्म देती है, जिसके कारण व्यक्ति धीरे धीरे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियों का शिकार बन जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय

व्यायाम दिल को तंदुरुस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्डियो व्यायाम से दिल की पम्प करने की क्षमता बढ़ती है और दिल की मांसपेशियां तंदुरुस्त बन जाती हैं। नियमित व्यायाम करने से रक्तचाप नियन्त्रण में रहता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं और ब्लड शुगर भी नियन्त्रित रहती है।

तनाव से बचें

तनाव आज हम सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, खासतौर पर ज्यादातर शहरी लोग अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं। जब आपका शरीर तनाव में रहता है, तो इसका असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है। तनाव के समय शरीर में एड्रिनलिन हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, अगर ऐसा नियमित रूप से होने लगे तो दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

अच्छी और गहरी नींद

समय की कमी के कारण बहुत से लोग अपनी नींद को कम कर काम करने लगते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नींद से समझौता करते हैं जो सेहत के लिए खास तौर पर दिल के लिए खतरनाक है। 7-8 घंटे से कम नींद लेने से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब का सेवन किसी भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। आजकल विकासशील देशों में धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जो दिल के लिए नुकसानदायक है। यहां तक कि अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो वह भी आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं। धूम्रपान छोड़ने के लिए परिवार और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। इसकी आदत छोड़ने के लिए निकोटीन पैच या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराकर आप दिल की बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से अगर आपको कोई समस्या है तो समय पर उसका निदान हो जाएगा और समय रहते इलाज शुरू कर बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकेगा। इसलिए नियमित रूप से अपनी जांच करवाते रहें और अपने स्वास्थ्य को मॉनिटर करते रहें।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी एक सूचना मात्र है. अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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