नेशनल
तीरथ सिंह रावत ने फटी जींस पहनने वाली महिलाओं को लेकर विवादित बयान
देहरादून। उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत फटी जीन्स पहनने वाली महिलाओं को लेकर विवादित बयान दे दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाएं अपने बच्चों को क्या संस्कार देंगी। रावत देहरादून में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
सीएम तीरथ सिंह रावत ने बच्चों में नशे की प्रवृत्ति के लिए संस्कारों पर जोर देते हुए कहा कि बच्चा स्कूल से नहीं घर से संस्कार सीखता है। उन्होंने कहा कि बच्चा जो देखता है, वही करता है। सीएम यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने पाश्चात्य सभ्यता पर तंज कसने शुरू किए तो फिर उनका पूरा भाषण इसी में उलझ कर रह गया।
सीएम ने कहा कि भौतिकवाद की चकाचौंध के पीछे आज यहां का नौजवान और नौजवान ही नहीं युवतियां भी भाग रही हैं। जो देखा वही करने लगते हैं। टीवी में देखा बढ़िया सी जीन्स का एडवर्टाइजमेंट तो दूसरे दिन वही आ जाती है। पहली पसंद होती है फटी हुई जींस। उन्होंने कहा कि जिसने फटी हुई जीन्स पहनी वो बड़े बाप का बेटा हो गया। पिता जी भी पहले पापा अब डैड हो गए। तीरथ सिंह रावत ने कहा फटी हुई जींस पहनना स्टेटस सिंबल हो गया है।
उन्होंने इस संबंध में एक घटना का भी उल्लेख किया और बताया कि एक बार जब वह हवाई जहाज में बैठे तो उनके साथ एक महिला बैठी थीं जो गम बूट पहने हुई थीं, उनकी जींस घुटनों पर फटी थीं, हाथों में कई कड़े थे और उनके साथ दो बच्चे भी थे। रावत ने कहा कि वह महिला एनजीओ चलाती हैं जो समाज के बीच में जाती हैं और स्वयं उनके दो बच्चे हैं लेकिन घुटने फटे हुए हैं तो ऐसे में वह क्या संस्कार देंगीं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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