अन्तर्राष्ट्रीय
सियोल में मर्स की जांच करेगा डब्ल्यूएचओ
सियोल| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक टीम अगले सप्ताह मध्य पूर्व रेस्पायरेटरी सिंड्राम (मर्स) के संक्रमण की जांच करने दक्षिण कोरिया पहुंचेगी।
यह जानकारी अधिकारियों ने शुक्रवार को दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्री ड्ब्ल्यूएचओ के साथ संयुक्त जांच अभियान शुरू करेंगे। इस अभियान के जरिए दक्षिण कोरिया और सऊदी अरब में फैले मर्स के बीच अंतर को जांचा जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमाक डब्ल्यूएचओ देश के अंदर घटनास्थल पर संक्रामक बीमारी की जांच करने में सक्षम है, जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है।
संयुक्त जांच अभियान में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ मौजूद होंगे। ये विशेषज्ञ महामारी संबंधी सर्वेक्षण, वायरस और संक्रमण प्रबंधन के क्षेत्र से होंगे।
दक्षिण कोरिया में मर्स संक्रमित लोगों की संख्या 41 हो गई है। यहां 20 मई को पहला मामला सामने आया था।
अन्तर्राष्ट्रीय
गहरी नींद में थे लोग, तभी भूस्खलन से गांव पर आ गिरा पहाड़ का मलबा, 100 से ज्यादा की हुई मौत
नई दिल्ली। पापुआ न्यू गिनी में शुक्रवार को हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। एबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन की घटना कथित तौर पर दक्षिण प्रशांत द्वीपीय देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत के काओकलाम गांव में घटी। यह हादसा स्थानीय समय के अनुसार तड़के 3 बजे करीब हुआ। इलाके के निवासियों का कहना है कि मृतकों की संख्या 100 से अधिक भी हो सकती है।
यह प्राकृतिक आपदा तब हुई, जब पूरा गांव अलसुबह करीब 3 बजे गहरी नींद में था और पहाड़ का मलबा गांव पर आ गिरा।ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (ABC) की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि शुक्रवार तड़के पापुआ न्यू गिनी के एक सुदूर गांव में हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह इलाका पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित एंगा प्रांत के काओकालम गांव में हुई है।
स्थानीय लोगों के हवाले से एबीसी ने जानकारी दी है कि इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। हालांकि अधिकारियों ने अभी तक मौत के आधिकारिक आँकड़ों की जानकारी नहीं दी है। सोशल मीडिया पर भी इस खौफनाक हादसे के कई वीडियो सामने आए हैं, जिससे बड़ी-बड़ी चट्टानों, पेड़ों और मलबे के नीचे से ग्रामीणों की लाशों को निकालते हुए दिखाया जा रहा है।
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