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अन्तर्राष्ट्रीय

सिक्किम सीमा विवाद : भारत के इतने कड़े तेवर से थर्राया चीन

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ब्रसेल्स/बीजिंग। चीन को इस बात का जरा भी भान नहीं था कि भूटान की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए डोकलाम के डोकला से जोम्पेलरी स्थित भूटान आर्मी कैंप की ओर सडक़ बनाने के उसके कदम के खिलाफ भारत इतनी सख्त प्रतिक्रिया देगा। यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष रिसार्त जारनेतस्की ने ‘ईपी टुडे’ पत्रिका में प्रकाशित लेख में यह बात कही है।

रिसार्त जारनेतस्की ने कहा कि चीन, डोकलाम से लेकर भूटान के क्षेत्र में आने वाले जोम्पेलरी तक एकतरफा सडक़ का निर्माण कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन को ये अंदाजा नहीं था कि उसके इस कदम पर भारत इतने कड़े शब्दों में उसे जवाब देगा।

उन्होंने कहा कि चीन ने कभी भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात का भरोसा नहीं दिलाया कि उसके आगे बढऩे से किसी को कोई खतरा होगा और न ही चीन ने कभी भी अंतरराष्ट्रीट्रीय वातावरण में शांति को आगे बढ़ाने के लिए कोई प्रयास किया।

वहीं चीन की सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को फिर गीदड़ भभकी दी कि सीमा विवाद का कोई समाधान तब तक संभव नहीं है, जबतक भारत अपने सैनिकों को वापस नहीं बुलाता और बीजिंग की इस मांग को अनसुना करने से हालात केवल और बदतर होंगे।

भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि दोनों देशों के बीच सिक्किम सेक्टर में सीमा पर बरकरार गतिरोध के समाधान के लिए कूटनीतिक स्रोत उपलब्ध हैं।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के एक व्याख्यात्मक लेख में हालांकि भारत के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा गया है कि जबतक भारतीय सैनिक डोकलाम को खाली नहीं करते, बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है। डोकलाम चीन तथा भूटान के बीच एक विवादित क्षेत्र है।

निबंध के मुताबिक, “चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि इस घटना पर बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं है और भारत को डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए।” सिन्हुआ के मुताबिक, चीन की मांगों को भारत द्वारा अनसुना करने से एक महीने लंबा गतिरोध और बद्तर होगा, इससे वह खुद को मुश्किल में डाल रहा है।

उसने कहा, “कूटनीतिक प्रयासों से सैनिकों के बीच टकराव का वहां अच्छे से अंत हुआ है। लेकिन इस बार मामला बिल्कुल अलग है।” लेख के मुताबिक, “हाल के वर्षो में कुछ भारतीय असैन्य समूह राष्ट्रवाद की भावना से ओत-प्रोत होकर चीन विरोधी भावनाओं को हवा दे रहे हैं।”

सिन्हुआ ने कहा, “चीन में एक कहावत है, शांति अनमोल है। हाल में भारत के विदेश सचिव एस.जयशंकर ने सिंगापुर में एक सकारात्मक टिप्पणी में कहा है कि भारत तथा चीन को अपने मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना चाहिए।”

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पाकिस्तान ने IMF के आगे फिर फैलाए हाथ, की नए लोन की डिमांड

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने आईएमएफ के सामने एक बार फिर भीख का कटोरा आगे कर दिया है। पाकिस्तान के पीएम शाहबाज शरीफ ने आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा से मुलाकात कर उनसे नए ऋण कार्यक्रम पर चर्चा की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में कहा कि पीएम शहबाज की मुलाकात रियाद में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मौके पर हुई।

रियाद में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक बैठक से इतर शरीफ ने तीन अरब अमेरिकी डॉलर की अतिरिक्त व्यवस्था (एसबीए) हासिल करने में पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक जॉर्जीवा का शुक्रिया अदा किया। पाकिस्तान ने पिछले साल जून में तीन अरब अमेरिकी डॉलर का आईएमएफ कार्यक्रम हासिल किया था। पाकिस्तान मौजूदा एसबीए के इस महीने समाप्त होने के बाद एक नई दीर्घकालिक विस्तारित कोष सुविधा (ईएफएफ) की मांग कर रहा है।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के नुसार, “दोनों पक्षों ने पाकिस्तान के लिए एक अन्य आईएमएफ कार्यक्रम पर भी चर्चा की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिछले वर्ष से हासिल लाभ समेकित हो और आर्थिक वृद्धि सकारात्मक बनी रही।’’ शरीफ ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने कहा कि इस्लामाबाद जुलाई की शुरुआत तक नए कार्यक्रम पर कर्मचारी स्तर का समझौता हासिल कर सकता है। यदि पाकिस्तान को यह मदद मिल गई तो उसको आईएमएफ की ओर से यह 24वीं सहायता होगी।

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