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बिजनेस

सिक्का ने इंफोसिस के सह संस्थापकों को सराहा

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बेंगलुरू| इंफोसिस के गैर संस्थापक मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल सिक्का ने एन.आर. नारायण मूर्ति के नेतृत्व में कंपनी के सात सह संस्थापकों की, कंपनी की प्रतिष्ठा में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए प्रशंसा की।

सिक्का ने सोमवार को 34वें वार्षिक आम सभा से पहले कंपनी के निवेशकों को बताया, “पिछले तीन दशकों में इंफोसिस के संस्थापकों के प्रति मेरा अटूट सम्मान है।

मूर्ति के अलावा, कंपनी के छह अन्य सह संस्थापकों में नंदन नीलेकणि, एस. गोपालकृष्णन, एस.डी.शिबुलाल, के.दिनेश, एन.एस.राघवन और अशोक अरोड़ा शामिल हैं।

राघवन 2000 में संयुक्त प्रबंध निदेशक के पद से सेवानिवृत हो गए थे। वह 1989 से कंपनी के निदेश मंडल में थे। इसके बाद दिनेश को छोड़कर कंपनी के अन्य सह संस्थापकों ने 10 करोड़ डॉलर से लेकर 8.7 अरब डॉलर तक के मूल्य की इस कंपनी की बागडोर संभाली। सबसे आखिर में कंपनी की कमान शिबु के हाथ में रही थी।

नारायण मूर्ति की सेवानिवृत्ति के बाद कंपनी को परेशानियों से निकालने के लिए एक बार फिर एक जून, 2013 को अध्यक्ष के रूप में कंपनी में उनकी वापसी हुई। लेकिन उन्होंने एक साल बाद ही 14 जून, 2014 को कंपनी की हालत सुधरने और सिक्का के रूप में कंपनी को उत्तराधिकारी मिलने के बाद पद छोड़ दिया।

सिक्का ने कंपनी के सह संस्थापकों को सच्चा उद्यमी बताते हुए कहा कि उन्होंने जिम्मेदारी, अद्वितीय अखंडता, संचालन में पारदर्शिता और शिक्षा व प्रशिक्षण की संस्कृति के साथ कंपनी को एक अलग स्तर तक पहुंचाया है।

सिक्का ने कहा, “मूर्ति का दृष्टिकोण, उनका नेतृत्व और मार्गदर्शन इंफोसिस के लिए प्रेरणा रहेंगे।”

मूर्ति और गोपालकृष्णन ने 10 अक्टूबर, 2014 को कंपनी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद छोड़ दिए थे, जबकि शिबुलाल ने अपनी सेनानिवृत्ति से नौ महीने पहले ही 31 जुलाई, 2014 को मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया था।

साल 2002-2007 तक कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहे नीलेकणि ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का अध्यक्ष बनने के लिए 2009 में कंपनी का सहअध्यक्ष पद छोड़ दिया था। यूआईडीएआई देश में नागरिकों को आधार कार्ड जारी करती है।

 

बिजनेस

Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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