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आध्यात्म

विश्व पुस्तक मेला : अंतिम दिन रस्किन बॉन्ड भी पहुंचे

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नई दिल्ली, 14 जनवरी (आईएएनएस)| राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा प्रगति मैदान में 6 जनवरी से शुरू विश्व पुस्तक मेले के अंतिम दिन प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड भी अपने पाठकों से मिले।

छुट्टी का दिन होने के कारण मेले में सुबह से ही पुस्तक प्रेमियों की भारी भीड़ रही। अनुमान है कि इस बार मेले में करीब 12 लाख पुस्तक प्रेमी पहुंचे। अभिभावक अपने बच्चों के साथ पूरे उत्साह एवं जोश से पूर्ण नजर आए तथा पुस्तक प्रेमी अपनी पसंदीदा पुस्तकों का बैग हाथ में लेकर चलते हुए अत्यंत प्रसन्न थे। वर्ष-दर-वर्ष नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले की बढ़ती ख्याति यह साबित करती है कि निस्संदेह ज्ञान और अच्छे साहित्य की चाहत तथा पुस्तकों के प्रति लोगों में आकर्षण बढ़ रहा है।

पुस्तक मेले में देश-विदेश से आए पुस्तक प्रेमियों, लेखकों, साहित्यकारों, प्रकाशकों तथा पाठकों ने भाग लिया और विभिन्न देशों के साहित्य एवं संस्कृति से रूबरू होने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ।

मेले के दौरान थीम मंडप पर आयोजित हुए पर्यावरण संबंधी कार्यक्रमों एवं गतिविधियों का पुस्तक प्रेमियों ने भरपूर आनंद उठाया। इस वर्ष मेले की थीम पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन थी जिसको पाठकों ने अत्यधिक सराहा।

रविवार को मेले में बने ऑथर्स कॉर्नर पर प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड अपने पाठकों से मिले। अपने प्रिय लेखक से मिलकर सभी पुस्तक-प्रेमी अत्यंत उत्साहित दिखे। सभी उनके ऑटोग्राफ लेने और उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए बेहद उत्सुक थे। पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा आयोजित ‘टिल द क्लाउड्स रॉल : द बिगनिंग अगेन’ पुस्तक पर विचार-विमर्श कार्यक्रम में लेखक रस्किन बॉन्ड उपस्थित हुए।

साहित्य मंच पर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा मूल्यानुगत मीडिया: समय की आवश्यकता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं के रूप में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष डॉ. बल्देव भाई शर्मा सहित डॉ. एम. एस. परमार, एन. के सिंह, डॉ. सच्चिदानंद जोशी, के.जी. सुरेश, डॉ. आशीष जोशी तथा आनंद पांडेय उपस्थित थे।

ऑथर्स कॉर्नर पर पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में प्रख्यात लेखक उपस्थित हुए, जिनमें शामिल हैं : सीमा मुस्तफा, सी. पी. सुरेंद्ररन, जेरी पिंटो, माइकल क्रीघटन। कार्यक्रम में तीन पुस्तकों -आजादीज डॉटर, न्यू डेली लव सॉन्ग्स तथा नेशापुर एंड बेबीलोन का लोकार्पण हुआ।

थीम मंडप पर पर्यावरण पर आधारित गुजराती लघु नाटिका आयोजित हुई। इसके साथ ही, यहां गीत-संगीत प्रस्तुति के माध्यम से लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया गया।

इस मंच पर पर्यावरण पर केंद्रित मैथिली में परिचर्चा आयोजन सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशंस एंड सिस्टम्स द्वारा किया गया। इस अवसर पर वक्ता थे प्रदीप कांत चौधरी, देवनाथ पाठक तथा मणींद्रनाथ ठाकुर। कार्यक्रम में मैथिली भाषा, साहित्य तथा संस्कृति पर भी चर्चा की गई।

यूरोपीय संघ मंडप पर मयूरेश कुमार द्वारा लिखित पुस्तक दैट्स मोर लाइक द हीरोज का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम में लेखक ने पुस्तक के कुछ अंश भी पढ़कर पाठकों को सुनाए।

साहित्य मंच पर राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद द्वारा सिंधी साहित्य पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसके अतिरिक्त, सेमिनार हॉल में नारायणी साहित्य एकेडमी द्वारा पुस्तक लोकार्पण एवं कवि-सम्मेलन का आयोजन हुआ।

मेले के दौरान पैनल चर्चा, लोकार्पण समारोह, नाटक, लोक नृत्य, कार्यशालाएं, लेखकों से भेंट, सम्मेलन, सेमिनार और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि की धूम रही। पुस्तक प्रेमियांे ने इन गतिविधियों का भरपूर आनंद उठाया।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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