आध्यात्म
बुंदेलखंड में लोहड़ी और मकर संक्रांति की धूम
झांसी, 14 जनवरी (आईएएनएस)| देश के अन्य हिस्सों की तरह बुंदेलखंड में भी लोहड़ी और मकर संक्रांति के पर्व की धूम रही।
एक ओर जहां रंगारंग कार्यक्रमों, नाच गाने का दौर चला तो दूसरी ओर श्रद्धालुओं ने नदियों में डुबकी लगाकर देवालयों पर पहुंचकर पूजा अर्चना की। मकर संक्रांति दो दिन मनाई जा रही है। रविवार को भी बड़ी संख्या में लोगों ने नदियों में डुबकी लगाई और पुण्य लाभ अर्जित किया। रामराजा की नगरी और बुंदेलखंड की अयोध्या ओरछा में अलसुबह से ही लोगों का बेतवा नदी के तट पर पहुंचने का क्रम शुरू हो गया था, जो देर शाम तक चला। यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने नदी में स्नान कर रामराजा सरकार के मंदिर में पूजा पाठ किया।
इसी तरह खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर, दतिया की पीतांबरा पीठ, पृथ्वीपुर की अछरुमाता, दमोह के जटाशंकर, सागर के गढ़पैरा मंदिर सहित अनेक स्थानों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।
वहीं दूसरी ओर, सिंधी और पंजाबी समाज की महिलाओं ने लोहड़ी पर्व धूमधाम से मनाया। नाच गाने से लेकर तरह-तरह के व्यंजनों का दौर चला।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. ममता दसानी के अनुसार, महिलाओं ने गीत-संगीत का आयोजन किया, इसमें सभी लोग जोड़े की तरह शामिल हुए। सभी ने भांगड़ा करने में कोई हिचक नहीं दिखाई। यह उत्साह और उमंग का त्योहार है, जिसमें सभी ने हिस्सा लिया।
इसी तरह कोहेनूर संस्था ने सामूहिक रूप से लोहड़ी और मकर संक्रांति का आयोजन किया। इस आयोजन के संदर्भ में संस्था अध्यक्ष वैशाली पुंशी और आरती बैरी के अनुसार, इस आयोजन की खूबी यह रही कि इस कार्यक्रम में सांप्रदायिक सद्भाव नजर आया।
इस कार्यक्रम में हिंदू, सिंधी, मुस्लिम, पंजाबी, इसाई समाज की महिलाओं ने हिस्सा लिया। महिलाओं ने नाच-गाना, खाना पीना किया तो बच्चों ने पतंग उड़ाई।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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