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विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही बाधित

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विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही बाधित

नई दिल्ली | संसद के निचले सदन लोकसभा में सोमवार को विपक्षी दलों ने केरल के सांसद और केंद्रीय मंत्री ई.अहमद के निधन पर संसद की कार्यवाही बाधित की। विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही दोपहर तक स्थगित कर दी थी।

अहमद के पोस्टर लिए विपक्षी दलों के सदस्यों ने अहमद के निधन की खबर जानबूझकर देरी से ऐलान करने का आरोप लगाया। विपक्षियों का कहना है कि ऐसा बजट को एक फरवरी को ही पेश करने के इरादे से किया गया।

केरल के मल्लपुरम से लोकसभा सांसद अहमद को 31 जनवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान दिल का दौरा पड़ा था।

विपक्षियों का कहना है कि अहमद के निधन की खबर जानबूझकर दबाई गई। उन्होंने दावा किया कि अहमद का निधन मंगलवार को पहले ही हो गया था, जबकि उनके निधन की घोषणा देर रात की गई।

राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अहमद को जब अस्पताल लाया गया तो वह जिंदा थे और उनका मंगलवार देर रात निधन हुआ।

नेशनल

इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति ने वापस लिया नामांकन, बीजेपी में होंगे शामिल

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इंदौर। लोकसभा चुनाव से पहले ही इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। अक्षय कांति के इस फैसले फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कलेक्टर कार्यालय में जाकर बीजेपी के उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने उन्होंने अपना पर्चा वापस लिया। इस दौरान बीजेपी के नेता रमेश मेंदोला भी साथ थे। इसके बाद में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि बम भाजपा की सदस्‍यता लेंगे।

इंदौर कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ माना जाता है। विजयवर्गीय इंदौर 1 से विधायक हैं। उन्होंने एक्स पर अक्षय कांति बम की तस्वीर के साथ लिखा, ”इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम जी का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है।”

इसके बाद इंदौर सीट पर अब भाजपा के लिए मैदान लगभग साफ हो गया है, उसके सामने निर्दलीय और अन्य दलों के अलावा कोई प्रत्याशी नहीं बचा। नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय कांति बम ने कहा कि जब से उन्होंने नामांकन जमा किया था, तब से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय कांति पर दबाव बना रही थी।

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