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वित्त मंत्रालय ने बैंक प्रमुखों की बैठक बुलाई

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नई दिल्ली | केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बड़ी परियोजनाओं के कार्यान्वयन की योजना के लिए 28 अप्रैल को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों की बैठक बुलाई है। रविवार को यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति से यह जानकारी प्राप्त हुई। यह बैठक बैंकों के गैर-निष्पादन संपत्तियों (एनपीए) के बढ़ते स्तर और सार्वजनिक बैंकों की लंबित बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए बुलाई गई है।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “इस बैठक का उद्देश्य परियोजना प्रमोटरों के समक्ष मौजूद समस्याओं को समझना और बैंकों द्वारा इनकी पहचानकर ऐसी समस्याओं का समाधान करना है।” “सड़क, बिजली, इस्पात और जहाज रानी जैसे बुनियादी ढांचागत क्षेत्र की मुख्य परियोजनाओं की समीक्षा बिजली, इस्पात, परिवहन, जहाजरानी मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों और आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में की जाएगी।” सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए मार्च 2014 में 4.72 प्रतिशत की तुलना में सितंबर 2014 में 5.33 प्रतिशत हो गया है। वित्त मंत्रालय के ताजा आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, लंबित पड़ी परियोजनाओं की वजह से बैंकों का एनपीए बढ़ा है। दिसंबर 2014 के अंत तक एनपीए बढ़ कर 880,000 करोड़ रुपये हो गया है।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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