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राष्ट्रपति ने तटरक्षक को स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दी
नई दिल्ली| राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारतीय तटरक्षक को एक फरवरी को होने वाले स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को शुभकामनाएं दी है। यह भारतीय तटरक्षक का 38वां स्थापना दिवस है। राष्ट्रपति भवन से जारी बयान के अनुसार, “राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारतीय तटरक्षक के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों एवं उनके परिवारों को एक फरवरी, 2015 को तटरक्षक स्थापना दिवस की 38वीं वर्षगांठ के लिए शुभकामानाएं दी।”
राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, “मैं बेहद खुश हूं कि भारतीय तटरक्षक एक फरवरी, 2015 को अपनी स्थापना दिवस की 38वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है।”
भारतीय तटरक्षक की स्थापना एक फरवरी, 1977 को हुई थी।
मुखर्जी ने अपने संदेश में कहा, “कई वर्षो से भारतीय तटरक्षक भारतीय मछुआरों और नौसेना की सुरक्षा सुनिश्चित करने के जरिए बड़ी बहादुरी से देश सेवा में जुटे हैं और हमारे तटीय क्षेत्र और जल सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “भारतीय तटरक्षक के जवानों ने जल सीमा क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों का हमेशा बहादुरी से सामना किया है और निष्ठा के साथ अपना कर्तव्य निभाया है। मुझे यकीन है कि भारतीय तटरक्षक पेशेवर तरीके से तत्परता और समर्पण के साथ इसी तरह आगे भी अपना कर्तव्य निभाएंगे
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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