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राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग का रिकॉर्ड हुआ कायम, 20 को आएगा रिजल्ट
नई दिल्ली। राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार मीरा कुमार के बीच मुख्य मुकाबले वाला देश के 14वें राष्ट्रपति का चुनाव सोमवार को करीब-करीब 100 फीसदी मतदान के साथ संपन्न हुआ। लोकसभा के सचिव एवं निर्वाचन अधिकारी अनूप मिश्रा ने ‘संभवत: अब तक के सर्वाधिक मतदान’ वाला राष्ट्रपति चुनाव करार देते हुए बताया कि निर्वाचक मंडल के ’98-99′ फीसदी सदस्यों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
मिश्रा ने बताया कि संसद भवन में 717 सांसदों और पांच विधायकों के मतदान करने की संभावना थी, जिनमें से 714 सांसदों और चार विधायकों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। गुजरात से विधायक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में मतदान करने की इजाजत मांगी थी।
मतदान में हिस्सा न लेने वालों में तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पाल, बीजू जनता दल (बीजद) के सांसद रामचंद्र हंसदा और पीएमके के सांसद अंबुमणि रामदास शामिल रहे। मिश्रा ने बताया कि लोकसभा और राज्यसभा के कुल 776 सदस्यों के पास मताधिकार था, जिनमें से 771 सदस्यों ने मतदान किया। उन्होंने बताया कि लोकसभा और राज्यसभा में दो-दो पद रिक्त थे और भाजपा के सांसद छेदी पासवान को मताधिकार नहीं था।
मिश्रा ने बताया कि 54 सांसदों ने दिल्ली में मतदान की इजाजत मांगी थी। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, नगालैंड, उत्तराखंड और पुदुचेरी में 100 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा अन्य राज्यों में भी 100 फीसदी के करीब ही मतदान हुआ है।
मिश्रा ने कहा कि आंध्र प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, मणिपुर और त्रिपुरा से मत प्रतिशत के अंतिम आंकड़े अभी आने बाकी हैं। सोमवार को संसद भवन और प्रत्येक राज्य की विधानसभाओं में स्थापित 32 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ। मतदान सुबह 10 बजे शुरू हुआ और शाम पांच बजे संपन्न हुआ।
राष्ट्रपति चुनाव में 776 सांसदों और 4,120 विधायकों को मत डालने का अधिकार था तथा निर्वाचक मंडल के कुल मतों की कीमत 10,98,903 है। राज्य विधानसभाओं से मतपेटियां अब दिल्ली लाई जाएंगी, जहां 20 जुलाई को मतों की गणना होगी। 20 जुलाई को ही चुनाव परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।
मिश्रा ने बताया कि दिल्ली में पड़े मतों की गणना सबसे पहले होगी। आठ चरणों में होने वाली मतगणना चार मेजों पर एक साथ होगी और हर चरण के बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे। मिश्रा ने बताया कि राज्यों में अधिकतर विधायकों ने शुरुआती तीन घंटे में ही मत डाल दिए थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों और सांसदों ने मतदान किया। पंजाब विधानसभा में मतदान के बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सभी कांग्रेस विधायकों के लिए नाश्ते की व्यवस्था की थी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के राष्ट्रपति उम्मीदवार बिहार के पूर्व राज्यपाल रामनाथ कोविंद का पलड़ा भारी माना जा रहा है, जिनका मुख्य रूप से कांग्रेस के नेतृत्व में 17 विपक्षी दलों की संयुक्त उम्मीदवार लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार से मुकाबला है।
भाजपा उम्मीदवार कोविंद को राजग से अलग भी कई दलों ने समर्थन देने की घोषणा की है और कुल मिलाकर उन्हें 63 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है। मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को समाप्त हो रहा है। अगर राजग के उम्मीदवार कोविंद चुनाव जीतते हैं तो वह के. आर. नारायणन के बाद देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति होंगे।
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इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति ने वापस लिया नामांकन, बीजेपी में होंगे शामिल
इंदौर। लोकसभा चुनाव से पहले ही इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। अक्षय कांति के इस फैसले फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कलेक्टर कार्यालय में जाकर बीजेपी के उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने उन्होंने अपना पर्चा वापस लिया। इस दौरान बीजेपी के नेता रमेश मेंदोला भी साथ थे। इसके बाद में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि बम भाजपा की सदस्यता लेंगे।
इंदौर कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ माना जाता है। विजयवर्गीय इंदौर 1 से विधायक हैं। उन्होंने एक्स पर अक्षय कांति बम की तस्वीर के साथ लिखा, ”इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम जी का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है।”
इसके बाद इंदौर सीट पर अब भाजपा के लिए मैदान लगभग साफ हो गया है, उसके सामने निर्दलीय और अन्य दलों के अलावा कोई प्रत्याशी नहीं बचा। नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय कांति बम ने कहा कि जब से उन्होंने नामांकन जमा किया था, तब से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय कांति पर दबाव बना रही थी।
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