Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

यूपी में योगी राज: एक तीर, कई निशाने

Published

on

Loading

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व पॉलटिक्स के ‘टाइगर’ योगी आदित्यनाथ को राज्य का मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया। योगी अपने दो सहयोगियों केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा के साथ 47 मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के साथ शपथ ले ली है। भाजपा के लिए यह मौका बेहद उत्साहवर्धक रहा।

राज्य में पार्टी 14 सालों के वनवास के बाद सत्ता में लौटी है। भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर काफी मंथन चला, आखिरकार पार्टी ने राज्य की कमान हिंदुत्व छवि के प्रतीक योगी आदित्यनाथ को सौंपी। एक फकीर (मोदी) और दूसरा योगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह जोड़ी राज्य को विकास के नए शिखर तक ले जाएगी।

योगी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपने का फैसला गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ में बहुत पहले हो चुका था। इस पर आरएसएस और संत समाज ने अपनी मुहर लगाई थी। लेकिन चुनाव बगैर मुख्यमंत्री चेहरे के लड़ा गया था, लिहाजा इस बात का खुलासा नहीं किया गया। शीर्ष नेतृत्व ने योगी को सामने लाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। यानी ‘किलिंग टू बर्डस बिद वन स्टोन का फामूर्ला’ अपनाया। दिल्ली में मोदी और यूपी में योगी राज आ गया। योगी को राज्य की सत्ता सौंप पीएम मोदी और शाह के आलावा आरएसएस ने अपना मंतव्य साफ कर दिया है। राज्य में पार्टी निगाहें 2019 में होने वाले लोकसभा मिशन पर टिकी हैं।

योगी को काम का पूरा वक्त दिए बगैर सिर्फ उनकी उग्र हिंदुत्ववादी छवि पर सवाल उठाना नाइंसाफी होगी। मोदी ने भी जब प्रधानमंत्री का दायित्व संभाला था, तो उस दौरान भी यह बात उठी थी। लेकिन आज स्थितियां कितनी बदली गई हैं।

पूरे देश में जैसे मोदी की आंधी चल रही है। कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो चला है। भाजपा ने पूर्वोत्तर जैसे राज्यों में भी अपना पांव जमा लिया है। देश की 58 फीसदी आबादी पर भाजपा का कब्जा हो चला है। दलित, मुस्लिम वर्गों में भी भाजपा, मोदी और उसकी नीतियों का जलवा चढक़र बोल रहा है। अगर ऐसा न होता तो राज्य के दलित और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भाजपा को बड़ी जीत नहीं मिलती। प्रतिपक्ष को दिमाग खोलकर यह बात समझनी चाहिए। वक्त के साथ जो बदलना जानता है, वही असली खिलाड़ी होता है।

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां की चुनौतियां भी बड़ी हैं, जिन्हें संभालना योगी की चुनौती होगी। विकास, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के साथ किसानों, युवाओं की समस्याएं के साथ रोजगार बड़ी चुनौती होगी साथ ही पूर्व सरकार की चालू योजनाओं को मंजिल तक पहुंचाना भी अहम होगा।

चुनाव के दौरान पार्टी की तरफ से किए लोकलुभावन नारों और घोषणाओं पर अमल करना और उसे लागू करना भी एक नया चैलेंज होगा। 14 साल के वनवास के बाद भाजपा राज्य की सत्ता में लौट रही है। भाजपा और पीएम मोदी में सभी जाति-धर्म के लोगों ने विश्वास जताया है। लिहाजा, उनके विश्वास की रक्षा करना भी उनकी जिम्मेदारी होगी।

किसानों की कर्जमाफी, अपराध नियंत्रण और सरकारी नियुक्तियों में पारदर्शिता, युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना जैसी समस्याएं सामने होंगी। इसके अलावा भाजपा को बड़ी जीत दिलाने वाले ‘पोलराइजेशन’ का भी खयाल रखना होगा।

आमतौर यह माना जा रहा था कि भाजपा योगी आदित्यनाथ पर दांव नहीं खेलेगी, क्योंकि यूपी प्रशासनिक लिहाज से बड़ा राज्य है। राज्य की सत्ता संचालन के लिए किसी अनुभवी मुख्यमंत्री का नाम प्रस्तावित किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पार्टी ने राजनाथ सिंह पर दांव लगाने के बजाय मंथन के बाद योगी पर पांसा खेला।

योगी पीएम मोदी के करीबी और चहेते माने जाते हैं। दूसरी बात, लव-जेहाद की बात उठाकर उन्होंने पार्टी को अलग पहचान दिलाई। पूर्वांचल में उनकी हिंदुत्व वाहिनी सेना अलग पहचान रखती है। दक्षिण भारत में शिवसेना हिंदुत्व का झंडा बुलंद करती है। कभी बालासाहब ठाकरे को ‘हिंदुत्व का शेर’ के नाम से जाना जाता था। वही स्थिति उत्तर भारत में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदुत्व वाहिनी सेना का है।

योगी भी शेर के साथ खेलते दिखते हैं। हालांकि पार्टी में जिन लोगों को सत्ता की कमान सौंपी गई है, वे सभी नए चेहरे हैं। राज्य संचालन का अनुभव नहीं है। दूसरी बात, राज्य विधानमंडल दल की कई के पास सदस्यता नहीं है। छह माह में उन्हें राज्य विधानमंडल दल की सदस्यता लेनी होगी। योगी और केशव प्रसाद मौर्य को संसद की सदस्यता से त्यागपत्र देना होगा। योगी गोरखपुर से और मौर्य फूलपुर संसदीय सीट से सांसद हैं, जबकि दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर हैं।

राज्य की चुनौतियों और वर्ष 2019 को देखते हुए पार्टी ने जातियों का भी विशेष खयाल रखा है। योगी मंत्रिमंडल में सभी जातियों को तवज्जो दी गई है।

योगी आदित्यनाथ मूलत: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से आते हैं। उनका असली नाम अजय सिंह नेगी है, लेकिन अब उनकी पहचान गोरखपुर से है। हिंदू विचारधारा की जो छवि नागपुर की है, अब वही यूपी में गोरखपुर की उभर रही है। गोरखपुर मिनी नागपुर बनता दिख रहा है।

यूपी का पूर्वाचल अब देश की राजनीति का ‘पावर सेंटर’ बनता दिख रहा है। यह हिंदुत्व के गढ़ के रूप में भी उभर रहा है। योगी उग्र हिंदुत्व छवि के ब्रांड अंबेसडर के रूप में उभरे हैं। गुजरात में होने वाले चुनाव के लिए भी यह स्थिति सुखद होगी।

योगी गोरखपुर से पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं। योगी को सामने रख जहां हिंदुत्व कार्ड खेला गया है, वहीं क्षत्रिय बिरादरी को भी रिझाने का पांसा डाला गया है। केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी से आते हैं। राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा का जीत दिलाने में पिछड़ी जातियों में खास भूमिका निभाई है।

वहीं दिनेश शर्मा ब्राह्मण जाति से हैं। लिहाजा, डिप्टी सीएम बनाकर 11 फीसदी ब्राह्मण को साधने की कोशिश की गई है। योगी मंत्रिमंडल में सभी जातियों और समुदाय के साथ क्षेत्रों को अहमियत दी गई है। पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी यूपी और बुंदेलखंड को तवज्जों दी गई है। राजनीतिक लिहाज से पूर्वांचल भाजपा के लिए अहम है।

यहां की 141 सीटों में 111 पर भाजपा का परचम लहराया। जबकि एसपी 14 और बीएसपी 12 सीट सिर्फ जीतने में कामयाब रहीं। कांग्रेस पूरे पूर्वांचल में केवल कुशीनगर की सीट जीत पाई। पूर्वांचल के 25 जिलों में 11 सीटें भाजपा की झोली में गई हैं। 15 साल बाद पूर्वांचल का कोई व्यक्ति मुख्मंत्री की कुर्सी तक पहुंचा है।

वर्ष 2002 में राजनाथ सिंह पूर्वाचल से अंतिम मुख्यमंत्री माने जाते थे। ऐसी स्थिति में योगी का उभरना क्षेत्र के लिए सुखद है। योगी को काम करने का पूरा मौका मिलना चाहिए। जिम्मेदारी और दायित्व मिलने के बाद व्यक्ति अनुभवी हो जाता है। राज्य में जाति-धर्म का तिलस्म टूटा है। एक नई विचारधारा का प्रतिस्फुटन हुआ है। उम्मीद की जानी चाहिए कि योगी सबको साथ लेकर चलेंगे और भाजपा सबका विकास करेगी।

नेशनल

जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा

Published

on

Loading

नई दिल्‍ली। भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्‍होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्‍या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।

जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।

Continue Reading

Trending