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याकूब मेनन ने महामहिम के पास फिर भेजी दया याचिका

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याकूब मेनन, महामहिम, फिर भेजी दया याचिका, 1993 के मुंबई बम धमाकों, जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस प्रफुल्ल सी पंत, जस्टिस अमिताव राय

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नई दिल्ली। 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन ने फांसी की सजा से एक दिन पहले फिर राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी है। 2014 में याकूब के भाई ने भी दया याचिका दी थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया था। वहीं याकूब की फांसी के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच आज अहम सुनवाई करेगी। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में जस्टिस प्रफुल्ल सी पंत और जस्टिस अमिताव राय की बेंच सुनवाई करेगी। इससे पहले कल की सुनवाई में जस्टिस कूरियन और जस्टिस दवे की राय अलग-अलग होने के चलते मामले को चीफ जस्टिस के पास भेज दिया गया था।

मंगलवार की सुनवाई के दौरान जस्टिस दवे ने कहा कि याकूब की याचिका में कोई आधार नहीं है। वहीं जस्टिस कूरियन ने फांसी पर स्टे लगाते हुए क्यूरेटिव पिटीशन को आधार बनाकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट से याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन में गंभीर चूक हुई है और तकनीकी खामी की वजह से किसी की जिंदगी को दांव पर नहीं लगाया जा सकता।

याकूब ने अपनी याचिका में कहा था कि उसे फांसी नहीं दी जा सकती, क्योंकि टाडा कोर्ट का डेथ वारंट गैरकानूनी है। याकूब के मुताबिक, उसकी पुर्नविचार याचिका खारिज होने के बाद डेथ वारंट जारी कर दिया गया, जबकि उसकी क्यूरेटिव याचिका कोर्ट में पेंडिंग थी। ऐसे में डेथ वारंट जारी करना गैरकानूनी है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे एक जज ने सवाल उठाते हुए कहा था कि याकूब की क्यूरेटिव पिटिशन की सुनवाई में उन्हें शामिल क्यों नहीं किया गया। याकूब के समर्थन में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने भी याचिका दाखिल कर उसकी फांसी पर रोक लगाने की मांग की है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने याकूब का डेथ वारंट जारी कर दिया, जिसके लिए 30 जुलाई का दिन तय किया गया है।

ऐसे में क्यूरेटिव से पहले डेथ वारंट जारी करना गैर-कानूनी है, नियमों और कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके लिए 27 मई 2015 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला दिया गया है। इसके लिए शबनम जजमेंट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि डेथ वारंट सारे कानूनी उपचार पूरे होने के बाद जारी होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने शबनम और उसके प्रेमी का डेथ वारंट को रद्द किया था। कोर्ट ने दोनों की फांसी को 15 मई को बरकरार रखा था और छह दिनों के भीतर 21 मई को डेथ वारंट जारी हुआ था। 27 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस डेथ वारंट को रद्द कर दिया था। 2010 में अपने परिवार के सात लोगों की हत्या में फांसी की सजायाफ्ता शबनम और सलीम पुनर्विचार, क्यूरेटिव और दया याचिका से पहले ही डेथ वारंट जारी कर दिया गया था।

नेशनल

भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव

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एटा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एटा में सपा प्रत्याशी देवेश शाक्य के समर्थन में संविधान बचाओ रैली को संबोधित किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान बचेगा तो लोकतंत्र बचेगा और लोकतंत्र बचेगा तो वोट देने का अधिकार बचेगा। अखिलेश यादव ने दावा किया कि ये अग्निवीर व्यवस्था जो लेकर आए हैं इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी तो अग्निवीर व्यवस्था समाप्त कर पहले वाली व्यवस्था लागू करेंगे।

उन्होंने आरक्षण मामले पर आरएसएस पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा के साथ एक सबसे खतरनाक परिवार है, जो आरक्षण खत्म करना चाहता है। अब उन्हें वोट चाहिए तो वह कह रहे हैं कि आरक्षण खत्म नहीं होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैं पूछना चाहता हूं अगर सरकार की बड़ी कंपनियां बिक जाएंगी तो क्या उनमें आरक्षण होगा? उनके पास जवाब नहीं है कि नौकरी क्यों नहीं दे रहे हैं? लोकसभा चुनाव संविधान मंथन का चुनाव है। एक तरफ वो लोग हैं जो संविधान को हटाना चाहते हैं। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन और समाजवादी लोग हैं जो संविधान को बचाना चाहते हैं। यह चुनाव आने वाली पीढ़ी के भविष्य का फैसला करेगा। वो लोग संविधान के भक्षक हैं और हम लोग रक्षक हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि एटा के लोगों को भाजपा ने बहुत धोखा दिया है। इनका हर वादा झूठा निकला। दस साल में एक लाख किसानों ने आत्महत्या की है। उनकी आय दोगुनी नहीं हुई। नौजवानों का भविष्य खत्म कर दिया गया है। हर परीक्षा का पेपर लीक हो रहा है।

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