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मुख्य समाचार

बिहार में परिवर्तन की आस में मोदी की जोर-आजमाइश

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पटना| लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना में आयोजित ‘हुंकार रैली’ से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को मिली अभूतपूर्व सफलता की तरह शनिवार को उनकी मुजफ्फरपुर की ‘परिवर्तन रैली’ से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वही इतिहास दोहराने की उम्मीद कर रही है।

मोदी शनिवार को बिहार के एक दिवसीय दौरे पर मुजफ्फरपुर में एक रैली को संबोधित करेंगे। कहा जा रहा है कि इस रैली में तिरहुत, सारण, दरभंगा, और कोसी प्रमंडल के लोग शामिल होने वाले हैं।

लोकसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में मिली सफलता से उत्साहित भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को मोदी की आक्रामक भाषण शैली और करिश्माई व्यक्तित्व के जरिये मतदाताओं को लुभाने की आस है।

भाजपा के प्रवक्ता विनोद नारायण झा के मुताबिक, मोदी का करिश्माई व्यक्तित्व मौजूदा राजनेताओं की भीड़ में सबसे अलग है। वह कहते हैं कि प्रधानमंत्री अपने बिहार दौरे पर राज्य के लोगों को कई सौगात देने वाले हैं। उनका कहना है कि आज भी मोदी पर मतदाताओं का विश्वास है और बिहार के लोग अब परिवर्तन चाहते हैं।

लोकसभा चुनाव में सरकार विरोधी लहर चल रही थी और ऐसी संभावना है कि विधानसभा चुनाव में भी सरकार विरोधी लहर देखी जाएगी, लेकिन इस समय और उस समय के राजनीतिक हालात में कई परिवर्तन आ गए हैं।

जनता दल (युनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) मिलकर चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा कर चुके हैं। वैसे लोकसभा चुनाव में ‘हुंकार रैली’ के दौरान लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता रामविलास पासवान वर्षो बाद भाजपा की मंच पर नजर आए थे। उसी तरह इस बार जीतन राम मांझी भाजपा के मंच पर होंगे।

राजग के नेताओं का भी मानना है कि लालू-नीतीश की गलबहियां भाजपा गठबंधन के चुनौती बनकर उभरी है। राजग में शामिल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा कई मौके पर यह कह चुके हैं कि लालू-नीतीश की दोस्ती के कारण राजग को अब ज्यादा मेहनत करनी होगी।

इधर, मोदी की यात्रा को जद (यू) के नेता बहुत प्रभावी नहीं मान रहे हैं। जद (यू) प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं कि मोदी की छवि अब वह नहीं रही। भाजपा के नेताओं के ‘जुमलेबाजी’ के कारण मतदाताओं में उनका विश्वास घटा है। सिंह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में जीत मिलने के 15 महीने बाद मोदी को बिहार की याद आई है, यह बात यहां की जनता जानती है।

भाजपा गठबंधन की उत्तर बिहार के 109 विधानसभा क्षेत्रों पर नजर है। लोकसभा चुनाव के परिणाम पर गौर करें तो इनमें से राजग को 94 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी। लेकिन गौर करने वाली बात है कि संसदीय चुनाव के दौरान राज्य के दो तिहाई विधानसभा क्षेत्रों में राजग को मिली बढ़त के बावजूद राजद-जद (यू) को मिले कुल जमा वोट अधिक रहे थे।

उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर बिहार में गठबंधन के तहत भाजपा को 42 और जद (यू) को 49 सीटों पर कामयाबी मिली थी।

नेशनल

इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति ने वापस लिया नामांकन, बीजेपी में होंगे शामिल

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इंदौर। लोकसभा चुनाव से पहले ही इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। अक्षय कांति के इस फैसले फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कलेक्टर कार्यालय में जाकर बीजेपी के उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने उन्होंने अपना पर्चा वापस लिया। इस दौरान बीजेपी के नेता रमेश मेंदोला भी साथ थे। इसके बाद में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि बम भाजपा की सदस्‍यता लेंगे।

इंदौर कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ माना जाता है। विजयवर्गीय इंदौर 1 से विधायक हैं। उन्होंने एक्स पर अक्षय कांति बम की तस्वीर के साथ लिखा, ”इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम जी का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है।”

इसके बाद इंदौर सीट पर अब भाजपा के लिए मैदान लगभग साफ हो गया है, उसके सामने निर्दलीय और अन्य दलों के अलावा कोई प्रत्याशी नहीं बचा। नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय कांति बम ने कहा कि जब से उन्होंने नामांकन जमा किया था, तब से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय कांति पर दबाव बना रही थी।

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