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बर्बाद फसलों के खरीद नियमों में ढील दी जाए : सोनिया
नई दिल्ली | कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बेमौसम बारिश और तूफान से बर्बाद हुई फसलों के कारण तनावग्रस्त किसानों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा गेहूं खरीद से जुड़े नियम में ढील देने की अपील की है। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान को लिखे एक पत्र में सोनिया ने कहा है कि उन्होंने कई राज्यों के प्रभावित इलाकों का दौरा किया और प्रथम दृष्टया पाया कि किसान बेहद तनावग्रस्त हैं।
सोनिया ने कहा, “उनमें से अनेक किसान तो रातों-रात भुखमरी की हालत में पहुंच गए हैं और दिवालियेपन की हालत में हैं।” सोनिया ने यह पत्र खाद्य मंत्री को सोमवार को भेजा, हालांकि मीडिया के लिए इसे मंगलवार को सार्वजनिक किया गया। सोनिया ने अपने इस पत्र में किसानों की मौजूदा परिस्थिति को ‘अभूतपूर्व’ और ‘अकल्पनीय आपदा’ कहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें पता चला है कि एफसीआई के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यदि गेहूं की रबी फसल में नमी की मात्रा 14 फीसदी से अधिक रहती है तो सरकार ऐसा गेहूं नहीं खरीदेगी और नमी की मात्रा 12 से 14 फीसदी के बीच रहती है तो दी जाने वाली छूट में कटौती की जाएगी। सोनिया का कहना है कि यह नियम सामान्य परिस्थितियों में लागू होते हैं और पिछले कई सप्ताह से बेमौसम बारिश और तूफान के कारण गेहूं की फसल बड़े पैमाने पर बर्बाद हुई है और इस कारण फसल में नमी की मात्रा भी बढ़ गई है। उन्होंने आगे कहा कि अकल्पनीय परिस्थिति के कारण मौजूदा नियमों के तहत बहुत कम मात्रा में खाद्यान्न की खरीद हो पाएगी।
सोनिया ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, “किसानों के लिए यह बहुत मुश्किल भरे दिन हैं, और यदि वे अपनी फसल नहीं बेच पाते हैं तो न्यूनतम समर्थन मूल्य के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाएगी।” उन्होंने आगे लिखा है, “सरकार द्वारा गेहूं की खरीद के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य हालांकि पहले ही काफी कम है, लेकिन खरीद न कर उस मूल्य से भी उन्हें वंचित रखना हमारे किसानों की मुश्किलों को और बढ़ाने वाला ही साबित होगा।”
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कैंसर से जूझ रहे सीपीआई नेता अतुल कुमार अंजान का निधन, लखनऊ के अस्पताल में ली अंतिम सांस
लखनऊ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का शुक्रवार को निधन हो गया। वो लखनऊ के मेयो अस्पताल में भर्ती थे जहां उनका काफी समय से कैंसर का इलाज चल रहा था। उनकी हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी। शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
बता दें कि अतुल अंजान ने अपना राजनीतिक सफर 1977 में शुरू किया था। वह सबसे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। वह सबसे प्रतिभाशील और सक्रिय कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे।
वह टीवी डिबेट में और कई दूसरे राजनीतिक कार्यक्रमों में लगातार पार्टी का प्रतिनिधित्व करते थे। अपनी राजनीति का लोहा इन्होंने कॉलेज के दिनों से ही मनवा लिया था। छात्र राजनीति में इनके कद का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अतुल कुमार अंजान 20 साल की उम्र में नेशनल कॉलेज स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बन गए थे। अतुल कुमार लगातार चार बार लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. यूनिवर्सिटी के समय से ही वह लेफ्ट की विचारधारा पर चलते थे।
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