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पर्यावरण बचाने को अब‍ भी नहीं चेते तो भुगतने होंगे और गंभीर नतीजे

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मानव की दोहन नीति का खामियाजा हैं प्राकृतिक आपदाएं

पर्यावरण, दोहन, प्रदूषण, पीएम मोदी, जलवायु

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे भवन्तु निरामयाः अर्थात सब सुखी हों, सब स्वस्थ हों ऐसी भावना रखना हमारे संस्कारों में शामिल है, यह बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कह कर कुछ अलग नहीं किया। वे वही कह रहे हैं जो भारत सदियों से कहता आया है।

पेरिस जलवायु समझौते के दौरान यह स्पष्ट भी हो गया। लेकिन  आश्चर्यजनक यह भी है कि विश्व का सिरमौर माने जाने वाला अमेरिका इस संधि से अलग हो गया।

सवाल पैदा होता है कि क्या विश्व पर्यावरण की सुरक्षा की चिंता अमेरिका को क्यों नहीं। क्या अमेरिका इस समझौते के लिए रजामंद 190 देशों से खुद को अलग मानता है। या उसने इतने संसाधन पैदा कर लिए है कि अकेले ही विश्व में हो रहे जलवायु परिवर्तन से निपट लेगा। आखिर अंत में ऐसा क्या हुआ कि अमेरिका ने पेरिस समझौते से खुद को अलग कर लिया। अवश्य ही इसके पीछे वैश्विक राजनीतिक कारण होंगे ऐसी संभावना व्यक्त की जा सकती है। लेकिन प्रसन्नता इस बात की है कि भारत ने जलवायु समझौते पर अपना दृष्टिकोण बड़े प्रभावी तरीके से रखा है।

अब सवाल यह है कि भारत विश्व पर्यावरण के लिए अपना योगदान कैसे देगा। समझौते के अंतर्गत 190 देशों  के साथ भारत की भी भूमिका रहेगी की वैश्विक तापमान वर्तमान से दो डिग्री नीचे लाने के लिए कार्बनडाई आक्साइ और अन्य गैसों के उत्सर्जन को कैसे घटाए। यह केवल विश्व के लिए ही जरूरी नहीं भारत को घरेलू स्तर पर भी पर्यावरण की सुरक्षा के मानकों पर खरा उतरना होगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में जिस तीव्र गति से प्रदूषण फैल रहा है। इसमें भारत भी शामिल है। विश्व के 20 प्रदूषित शहरों में 13 भारत के हैं। कुछ ही समय पहले दिल्ली का हाल सबने देखा। दमघोंटू वातावरण में इंसान की जान कैसे सुरक्षित रहे।

आधुनिक दिखावे के चलते तेजी से बढ़ते वाहनों की संख्या इशारा कर रही है कि यह स्थिति आने वाले समय में कम होने की जगह और बढ़ेगी। हवा में घुला मात्रा से अधिक नाईट्रोजन ऑक्साइड, सल्फरडाई ऑक्साइड, ओजोन और कार्बन मोनोऑक्साइड, सीसा और अमोनिया के चलते वातावरण विषैला होता जा रहा है। खतरा तो इस बात का है कि हवा और पानी में घुला यह जहर हमारी आने वाली पीढ़ी में विकृति पैदा न कर दे।

3 दिसंबर 1984 का भोपाल की रासायनिक दुर्घटना याद रखने के लिए काफी है कि कैसे प्रभावितों की पीढ़ी की नसों में यह जहर भर चुका है। कई घर आज भी स्वस्थ संतान के लिए तरस रहे हैं। तीन दशक पहले हवा में घुले जहर का दंश बीमारी के रूप में आज भी भोग रहे है। कैंसर, टीवी, अस्थमा, त्वचा रोग एलर्जी जैसे कई रोगों के पनपने का कारण वातावरण में घुला जहर ही है।

विश्व में प्रति वर्ष 30 लाख मौतें पर्यावरण प्रदूषण के कारण होती हैं। चिंता की बात तो यह है कि अधिक मौतों के मामले में भारत सबसे अव्वल है। इन मौतों में अकेले दिल्ली का औसत ग्राफ देखें तो 12 प्रतिशत अधिक है। भारत में जिस तेजी से गावों का शहरीकरण और औद्योगिकीकरण हो रहा है वह भी एक बड़ा कारण है। जिस तेजी से शहरीकरण हुआ उस गति से प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई मजबूत प्लान नहीं बना।

आसमान में छाया औद्योगिक चिमनियों का काला धुंआ कितनी हवा को प्रदूषित करेगा यह हमें दिल्ली के हाल से समझ जाना चाहिए। जिस प्रकार हम भारत में विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रित कर रहे हैं तो उनसे पैदा होने वाले खतरों को भी हमें भांपना होगा। केवल विकास की दौड़ में अंधे होकर इन्हें भारत में खुलेआम वातावरण में जहर घोलने का लाइसेंस नहीं दे सकते। इससे पहले भारत सरकार को बार-बार  भोपाल का हश्र याद रखना चाहिए।

भारत के 27 राज्यों में 150 नदियां सबसे अधिक प्रदूषित हैं। महाराष्ट्र की 28, गुजरात की 19, उत्तर प्रदेश की 12 नदियां अधिक प्रदूषित हैं। मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू, राजस्थान, झारखण्ड भी नदियों के प्रदूषण के मामले में पीछे नहीं हैं। उत्तराखण्ड और हिमाचल की स्थिति इतनी खराब नहीं है। औद्योगिकीकरण के कारण नदियों का जो हाल हुआ है उससे भारी रासायनिक तत्व जल में मिलकर धरती में घुस गए हैं।

प्रदूषण नियंत्रण के मामले में भारत की मौजूदा रणनीति बेहद कमजोर है। अभी हम ऊर्जा के लिए कोयला, पेट्रोल, डीजल जैसे ईंधनों पर पूरी तरह निर्भर हैं। इनसे निर्भरता कम कम करते हुए भारत को प्राकृतिक संसाधनों के विकास का विस्तार करने की जरूरत है। जीवाश्म ईधन को हटाकर वैकल्पिक ऊर्जा के स्त्रोत यानी पारंपरिक ऊर्जा ठोस द्रव या गैसीय बायोमास के रूप में संग्रहित है जिसे हम अक्षय ऊर्जा के रूप में हमेशा से देखते आए हैं। इस वैकल्पिक ऊर्जा के संरक्षण, संग्रहण और रूपांतरण के लिए अभी तक कोई व्यावहारिक और व्यवस्थित आधारभूत संरचना काम नहीं कर रही है। यही अक्षय ऊर्जा के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है।

इन्टरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार सन 2050 तक सौर ऊर्जा से विश्व की कुल बिजली आपूर्ति का एक चौथाई हिस्सा प्राप्त किया जा सकता है। सौर फोटो-वोल्टेइक और ऊर्जा के संकेन्द्रण के जरिए ऊर्जा तो प्राप्त होगी ही इससे जो सबसे बड़ा नफा होगा वो ये कि इससे प्रति वर्ष ऊर्जा सम्बंधी 6 अरब टन कार्बनडाई ऑक्साइड उत्सर्जन को भी रोका जा सकता है।

पर्यावरण को अनुकूल बनाए रखने वाले अक्षय स्त्रोत हमें प्रकृति ने ही प्रदान किए हैं पर मानव की दोहन नीति ने इनका इतना दोहन किया कि ये कम पड़ गए। इसका खामियाजा हम प्राकृतिक आपदाओं के रूप में भुगत रहे हैं। तीन वर्ष पूर्व उत्तराखण्ड में बादल फटने से आई बाढ़ हो या नेपाल में और भारत के कुछ भागों में आया भूकंप। परिणाम तो किसी भी रूप में भुगता ही। आए दिन हो रहीं भूगर्भ हलचलें इसका प्रमाण हैं कि पृथ्वी पर ऐसा तो कुछ घटित हो रहा है जो किसी के भी अनुकूल नहीं। यदि अभी भी विश्व नहीं चेता तो कहीं यह अटकलें सत्य न हो जाएं कि पृथ्वी अब नहीं रही

-सत्या सिंह राठौर

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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