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पंजाब के ट्रैवल एजेंट की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में खारिज
नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब के ट्रैवल एजेंट के एक समूह की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पंजाब ट्रैवल्स प्रोफेशनल्स रेग्युलेशन एक्ट, 2012 की वैधता को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह प्रावधान प्रतिबंधात्मक नहीं नियामक है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने वादी पक्ष के वकील आर.के. कपूर द्वारा वैधता पर सवाल उठाने वाले विभिन्न प्रावधानों का जिक्र किए जाने पर उनसे पूछा, “प्रतिबंध क्या हैं? ये केवल नियामक हैं प्रतिबंधात्मक नहीं।”
कपूर ने उस प्रावधान को हटाने की मांग की, जिसके तहत ट्रैवल एजेंट को लाइसेंस के लिए पैसे खर्चने पड़ते हैं। उनकी मांग पर न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “ट्रैवेल एजेंसी के पंजीकरण के लिए लाइसेंस शुल्क में गलत क्या है, एक लाख रुपये ज्यादा बड़ी राशि नहीं हैं। आपको पता है कि उनकी (ट्रैवल एजेंट) आय कितनी और कैसी है।” याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता की विभिन्न आपत्तियों को भी खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता के वकील कपूर ने उस प्रावधान की ओर इशारा किया जिसके मुताबिक ट्रैवल एजेंट को पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक किसी भी आपराधिक गतिविधि में लिप्त नहीं पाया जाना चाहिए, जिस पर न्यायमूर्ति ने कहा, “यह बहुत अच्छा है।” पंजाब ट्रैवल प्रोफेशनल्स रेगुलेशन एक्ट, 2012 मूल रूप से प्रिवेंशन ऑफ ह्यूमन स्मगलिंग एक्ट, 2012 था जिसका बाद में नाम बदल दिया गया।
याचिकाकर्ताओं ने पंजाब ट्रैवल प्रोफेशनल्स रेगुलेशन एक्ट, 2012 और पंजाब ट्रैवल प्रोफेशनल्स रेगुलेशन रूल्स, 2013 के प्रावधानों को चुनौती दी थी, जिसमें ट्रैवल एजेंट, परामर्श और टिकट के व्यापार में लिप्त लोगों के लिए एक लाख रुपये का भुगतान कर पंजीकरण को आवश्यक कर दिया गया है, हालांकि यह राशि पांच साल से अधिक समय से ट्रैवल के व्यापार में संल्पित लोगों के लिए हैं। वे ट्रैवल एजेंट को इस व्यापार में पांच साल से कम समय के लिए हैं, उन्हें 25,000 रुपये का भुगतान करना होगा। ट्रैवल कंपनियों के स्वामियों ने उन प्रावधानों को भी चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि लाइसेंस के लिए आवेदन देते समय आवेदनकर्ता पुलिस रिकार्ड में किसी आपराधिक मामले में संलिप्त नहीं पाया जाना चाहिए।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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