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बिजनेस

नोटबंदी का असर दिखा, विकास दर गिरकर 7.1 फीसदी पर पहुंची

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नई दिल्ली। केंद्र में मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर आये आर्थिक विकास के आंकड़े आर्थिक मोर्चे पर सरकार के लिए अच्छे नहीं हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की रफ्तार पिछले वित्त वर्ष में 7.1 फीसदी रही। वहीं, जनवरी से मार्च क्वार्टर में जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 6.1 फीसदी थी। यह वही तिमाही है जिससे कुछ दिन पहले नवम्बर में नोटबंदी का फैसला हुआ था। उद्योग जगत का भी कहना है कि आंकड़ों में यह गिरावट नोटबंदी का नतीजा है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने बुधवार को एक बयान में कहा, “वित्त वर्ष 2016-17 के लिए निरंतर (2011-12) कीमतों पर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 121. 90 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है, जिसकी रफ्तार 7.1 फीसदी रही है। यह वित्त वर्ष 2015-16 में 113.81 लाख करोड़ रुपये थी।”

सकल मूल्य (जीवीए) के संदर्भ में, जिसमें अप्रत्यक्ष कर शामिल नहीं है, उसकी रफ्तार में वित्त वर्ष 2015-16 की तुलना में गिरावट दर्ज की गई और यह 6.6 फीसदी रही।

पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीवीए में तेज गिरावट देखी गई और यह 6.1 फीसदी रही। मुख्य सांख्यिकीविद टी.सी.ए. अनंत ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले साल की गई नोटबंदी का प्रभाव उतना नहीं है, जितना कहा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले भी लोगों ने उनसे नोटबंदी के प्रभाव को लेकर सवाल पूछे थे। उन्होंने कहा, “नोटबंदी जैसी नीतियों का सरल ‘पोस्ट हॉक’ प्रभाव विश्लेषण के जरिए विश्लेषण नहीं किया जा सकता। कोई नीति समाज पर कई रास्तों से असर डालती है, जिसमें विभिन्न प्रक्रियाएं होती हैं और उनका विश्लेषण अत्यधिक परिष्कृत तरीके से ही किया जा सकता है।”

मार्च तिमाही में कृषि, वानिकी और मत्यस पाल में 5.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। वहीं, खनन में 6.4 फीसदी, विनिर्माण में 5.3 फीसदी, बिजली, गैस आदि उपभोक्ता सेवाओं में 6.1 फीसदी, व्यापार, होटल, परिवहन में 6.5 फीसदी की रफ्तार दर्ज की गई। हालांकि निर्माण क्षेत्र की रफ्तार घटकर 3.7 फीसदी हो गई।

इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए उद्योग चैंबर फिक्की के अध्यक्ष पंकज पटेल ने एक बयान में कहा, “हालांकि वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर इस साल के शुरू में लगाए गए अनुमान के मुताबिक रही है। लेकिन चौथी तिमाही के आंकड़ों में गिरावट का मुख्य कारण पिछले साल की गई नोटबंदी रही।”

वहीं, उद्योग संगठन एसोचैम ने यहां एक बयान में कहा, “जीडीपी के आंकड़े उम्मीद के अनुरूप है, जिसका अनुमान आरबीआई, विश्व बैंक और अन्य संस्थाओं ने लगाया है। हालांकि नोटबंदी के कारण आर्थिक गतिविधियों में मामूली गिरावट रही, स्थाई पूंजी के निर्माण की गति धीमी रही और विनिर्माण गतिविधियों में भी गिरावट देखी गई।”

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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