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नोटबंदी का विकास पर पड़ा मामूली असर, जीडीपी वृद्धि दर सात फीसदी

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नई दिल्ली| अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के प्रभाव से दिसंबर में समाप्त मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर सात फीसदी रही है, जो कुल 30.28 लाख करोड़ रुपये है, जबकि दूसरी तिमाही के दौरान यह 7.3 फीसदी थी। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्योग जगत ने कहा है कि आंकड़े उम्मीदों के अनुरूप ही हैं।

वित्त वर्ष 2015-16 की समान तिमाही में जीडीपी 28.31 लाख करोड़ रुपये रही थी। सकल मूल्य (जीवीए) के संदर्भ में जिसे अर्थव्यवस्था की हालत मापने का बेहतर पैमाना माना जाता है। क्योंकि इसमें करों और सब्सिडी को शामिल नहीं किया जाता है। यह समीक्षाधीन तिमाही में 6.6 फीसदी की विकास दर के साथ 28.02 लाख करोड़ रुपये रही है, जो कि पिछले साल की समान अवधि में 7 फीसदी थी। इसका प्रमुख कारण वित्तीय और रियल एस्टेट क्षेत्र में आई गिरावट है।

जीवीए के अंतर्गत विनिर्माण गतिविधियों के आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर में समाप्त हुई तिमाही में इसमें तेज गिरावट आई थी और यह पिछले साल की समान तिमाही के 12.8 फीसदी की तुलना में गिरकर 8.3 फीसदी रही। जबकि निर्माण दर गिरकर 2.7 फीसदी रही। जोकि एक साल पहले समान अवधि में 3.5 फीसदी थी। जीवीए के अंतर्गत वित्तीय, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवाओं में समीक्षाधीन तिमाही में बड़े पैमाने पर गिरावट देखी गई और यह गिरकर 3.1 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 की तीसरी तिमाही में यह 10.4 फीसदी थी।

हालांकि, सरकारी सेवाओं जिसमें रक्षा सेवाएं भी शामिल हैं, में मजबूती देखने को मिली और इसमें 11.9 फीसदी विकास दर देखी गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 7.5 फीसदी थी। प्राथमिक क्षेत्रों जैसे कृषि और मत्स्य पालन में वापस तेजी देखी गई और इसकी वृद्धि दर 6 फीसदी रही, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 2.2 फीसदी थी।

इस दौरान खनन और उत्खनन उत्पादन में तेज गिरावट दर्ज की गई और इसकी वृद्धि दर 7.5 फीसदी रही, जो एक साल पहले 13.3 फीसदी थी। मुख्य सांख्यिकीविद् टीसीए अनंत ने इन आंकड़ों को जारी करने के बाद कहा कि नोटंबदी के प्रभाव का आकलन करना पर्याप्त आंकड़ों के बिना मुश्किल है। अनंत ने कहा, “नोटबंदी जैसी नीतियों का आकलन करना बिना व्यापक आंकड़ों के मुश्किल है, क्योंकि अभी भी बहुत सारे आंकड़े सामने आने हैं। अभी तक हमने तीसरी तिमाही के आंकड़ों में औद्योगिक उत्पादन और कॉरपोरेट द्वारा एडवांस कर अदा करने को ही संज्ञान में लिया है।”

उन्होंने आगे कहा, “फिलहाल उपलब्ध आंकड़ों का निष्कर्ष यह है कि नोटबंदी का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है।” आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने यहां संवाददाताओं को बताया, “पहले के अनुमानों में सकल घरेलू उत्पाद में और अधिक गिरावट की बात की गई थी। हमें अभी नोटबंदी का पूरा प्रभाव देखना होगा। पहले जारी अनुमान सटीक नहीं थे।” उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान ‘उम्मीदों के मुताबिक ही है।’ संगठन ने कहा, “विभिन्न संस्थाओं जैसे विश्व बैंक, रिजर्व बैंक और अन्य संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत किए गए अनुमान से आर्थिक गतिविधियों में गिरावट की बात कही गई है, जो मुख्य रूप से नोटबंदी के कारण हुआ है।”

एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जाजोदिया ने कहा, “नीति निर्माताओं को निवेश और पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन को पुनर्जीवित करने के लिए हर मुमकिन कदम उठाना चाहिए, जोकि लगातार गिर रहे हैं। यह मांग और खपत में कमी के कारण है।” उद्योग मंडल फिक्की के महासचिव ए. दीदार सिंह ने यहां एक बयान में कहा, “घरेलू पूंजीगत व्यय चक्र है लगातार कमजोर पड़ रहा है और इसे बढ़ावा देने की अत्यंत जरूरत है। हमें उम्मीद है सरकार ने सार्वजनिक व्यय में वृद्धि की जो योजना बनाई है, उसपे आगे बढ़ेगी और इससे निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। हमें बैंकों द्वारा उधार दरों में और कमी की उम्मीद है। इससे उपभोग को बढावा मिलेगा और कम लागत पर वित्त मुहैया होने से निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।”

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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