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बिजनेस

निक्के ई ने 20000 की मनोवैज्ञानिक सीमा पार की

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टोक्यो| टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज (टीएसई) के प्रमुख सूचकांक निक्के ई 225 ने शुक्रवार को गत 15 साल में पहली बार 20,000 की मनोवैज्ञानिक सीमा पार कर ली। एनएचके वर्ल्ड के मुताबिक, सूचकांक हालांकि थोड़े समय के लिए ही इस सीमा के ऊपर रहा और गुरुवार के बंद स्तर के नीचे बंद हुआ।

225 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निक्के ई 225 इससे पहले अप्रैल 2000 में 20,000 की सीमा के ऊपर पहुंचा था।

सूचकांक आखिरकार 30 अंकों की गिरावट के साथ 19,907 पर बंद हुआ।

टीएसई का ही एक अन्य प्रमुख सूचकांक टॉपिक्स चार अंकों की गिरावट के साथ 1,589 पर बंद हुआ।

विश्लेषकों के मुताबिक, हाल में येन के अवमूल्यन के कारण निर्यातकों को अधिक आय होने की उम्मीद की वजह से सूचकांक में मजबूती दर्ज की गई है।

साथ ही बड़ी कंपनियों में की गई वेतन वृद्धि के कारण भी उपभोक्ता खपत बढ़ने और उसके कारण मांग बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।

 (12:10) 

बिजनेस

Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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