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आध्यात्म

नई किताब में मोदी का तनाव मुक्त परीक्षाओं पर जोर

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नई दिल्ली, 8 फरवरी (आईएएनएस)| भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना ध्यान ‘तनाव मुक्त परीक्षाओं के महत्व’ पर केंद्रित किया और युवा छात्रों से आह्वान किया कि अंकों के बजाय ज्ञान का लक्ष्य रखें।

एक नई किताब ‘एग्जाम वॉरियर’ में मोदी ने भारत और दुनिया भर के छात्रों के लिए एक दक्ष मार्गदर्शक मुहैया कराया है। मोदी किताब के सहलेखक हैं। यह किताब तनावमुक्त परीक्षाओं के महत्व और अंकों से ज्यादा ज्ञान प्राप्त करने के लक्ष्य के इर्दगिर्द संवाद और बहस को शुरू करती है। इसका उद्देशय एक उत्प्रेरक बनने का है जिसे चर्चा बढ़ेगी और जो हमारे एग्जाम वॉरियर के लिए काफी फायदेमंद रहेगा। इन मुद्दों पर हम जितना ज्यादा बात करेंगे, हमारे विचारों और अनुभवों को साझा करेंगे और दूसरों से सीखेंगे इससे अधिक उन संभावनाओं को सुनिश्चित किया जा सकेगा कि हमारे बच्चे जिस मजेदार बचपन के हकदार हैं उन्हें वह मिले।

लेखक के नोट में मोदी ने उल्लेख किया, यह हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि हम सुनिश्चित करें कि उनका बचपन परीक्षाओं के भार और मुझे आगे क्या करना चाहिए की निरंतर चिंता के नीच दब न जाए।

प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि किताब का यह विचार उन्हें स्कूल की परीक्षाओं के विषय पर किए गए ‘मन की बात’ के विभिन्न एपिसोडों से आया। उन्होंने दोहराया कि कई छात्रों ने उन्हें यह कहते हुए लिखा था कि इन एपिसोडों ने उन्हें तैयारी करने में और परीक्षाओं से पहले तनाव कम करने में बेहद मदद की।

किताब में मोदी ने परीक्षाओं के तनाव से लड़ने के लिए युवा छात्रों को 25 मंत्र सुझाए हैं। उन्होंने कहा, मैंने अन्य पहलुओं के बारे में भी लिखा है, जैसे कि क्यों हमेशा एक शख्स एक जुनून के पीछे भागता है, किसी दूसरे को जानने का प्रयास, युवाओं को खेल जरूर खेलने चाहिए, बड़े पैमाने पर यात्रा करे और समाज की सेवा के लिए कुछ समय देना शामिल है।

उन्होंने परिजनों और अभिवावकों उन्हें खेलने में अहम भूमिका निभाने के लिए धन्यवाद दिया और उनसे हमारे एग्जाम वॉरियर को प्रोत्साहन में समर्थन जारी रखने की मांग की।

मोदी ने लेखक नोट का समापन किताब में उठाए गए सवालों पर विचारों और सुझावों के स्वागत से किया।

189 पन्नों की किताब में महत्वपूर्ण उदाहरण है, साथ ही इसे अच्छे पेपर पर प्रकाशित किया गया है। किताब का प्रकाशन पेंग्विन इंडिया और ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेश्न ने किया है, जिसकी कीमत मात्र 100 रुपये है।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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