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आध्यात्म

कोरियाई दल भारतीय संस्कृति को समझने हरिद्वार पहुंचा

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हरिद्वार, 6 फरवरी (आईएएनएस)| दक्षिण कोरिया का तीस सदस्यीय दल मंगलवार को यहां के देवसंस्कृति विश्वविद्यालय पहुंचा।

दल का प्रमुख लक्ष्य भारतीय संस्कृति की प्राचीन एवं मूलभूत अवधारणा को जानना, योगाभ्यास के माध्यम से शारीरिक व मानसिक ढ़ता को जीवन में अपनाना है। मेहमानों को भारतीय संस्कृति, योग व आयुर्वेद के प्रशिक्षण व मार्गदर्शन के लिए योग विभाग तथा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ से जुड़े आचार्यों की अलग-अलग टीम बनाई गई। दल को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि भारतीय ऋषियों ने योग व ध्यान के माध्यम से कई सिद्धियां प्राप्त की थी। साथ ही वे आयुर्वेद के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को सुढ़ बनाए रखते थे। आज भी इनकी महत्ता कायम है। जरूरत है तो केवल विश्वास के साथ व्यावहारिक जीवन में उतारने की।

उन्होंने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय की अवधारणाओं, संकल्पनाओं से मेहमानों को अवगत कराया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति डॉ. पंड्या ने दक्षिण कोरियाई दल को युगसाहित्य एवं उपवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया।

अपने संदेश में कुलाधिपति डॉ. प्रणव पंड्या ने कहा कि भारतीय संस्कृति सार्वभौमिक सत्यों पर खड़ी है और इसी कारण वह सब ओर गतिशील होती है। कोई भी संस्कृति की अमरता इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह कितनी विकासोन्मुखी है।

अपने प्रवास के दौरान दक्षिण कोरियाई दल विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकल्पों का भ्रमण कर भारतीय संस्कृति, योग, आयुर्वेद, स्वावलंबन, रीसाइक्लिंग, गौशाला में औषधि निर्माण आदि का अध्ययन किया। मेहमानों को डॉ. अरुणेश पाराशर और डॉ. उमाकांत इंदौलिया की टीम ने भ्रमण कराया।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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