आध्यात्म
गर्लफ्रेंड को CHOCOLATE देने से पहले जरुर जानें उसकी राशि, वरना……..
नई दिल्ली। प्यार एक खूबसूरत एहसास है, वैसे तो आपको अपना प्यार जाहिर करने के लिए किसी स्पेशल डेट या प्लान की जरुरत नहीं पड़नी चाहिए लेकिन, जैसे हर त्याहारों को मानाने का अपना एक अलग महीना और तारीखें तय होती है। ठीक वैसे प्यार जैसे पवित्र एहसास को महसूस करने के लिए भी कुछ खास दिन बनाए गए हैं।chocolate
तो जैसा की हम सभी फ़रवरी माह में आ चुके हैं। और आज प्यार के हफ्ते का तीसरा दिन यानी की ‘चाँकलेट डे’ है।
ऐसे में लड़कियों को सबसे ज्यादा चॉकलेट पसंद होती है। तो आज आप अपनी गर्लफ्रेंड को चॉकलेट तो खिलाए ही लेकिन उससे पहले ये जरुर जान लें कि उसकी राशि क्या है? अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों? तो आइये बताते है, आपको कि ‘चाँकलेट डे’ का आपकी गर्लफ्रेंड से क्या लेना-देना है।
मेष, कन्या, तुला और मीन राशि-
मेष, कन्या, तुला और मीन राशि के लोग मीठा खाने के शौकीन होते है। इसलिए आप इन्हे कोई सी भी चॉकलेट गिफ्ट कर सकते है। इससे आपके प्यार में मिठास बनी रहेगी, अन्यथा रिश्ते ख़राब भी हो सकते हैं।
वृश्चिक, धनु, मकर और कर्क राशि-
वृश्चिक, धनु, मकर और कर्क राशि वाले लोगो को मीठे के मुकाबले नमकीन चीज़े ज्यादा पसंद होती है। इसलिए हो सके तो आप उन्हें नमकीन चीज़ गिफ्ट करे इससे आपका प्यार और ज्यादा बढ़ जाएगा।
कुंभ राशि- वाले पार्टनर को आप हॉट चॉकलेट गिफ्ट करे ताकि आपके प्यार में मिठास रहे। हॉट चॉकलेट गिफ्ट करने से मूड भी बन जाएगा।
वृष राशि- के लोगो को अगर आप चॉकलेट और स्ट्रॉबेरी गिफ्ट करे तो आपका पार्टनर जरूर आपसे प्रभावित होगा।
मिथुन राशि- के लोगो को आप ब्लैक चॉक्लेट ना देकर वाइट चॉकलेट दे। इससे आपके बीच प्यार और ज्यादा बढ़ेगा।
कर्क राशि- के लोग कोमल स्वाभाव के होते है। इसलिए उन्हें सिल्क चॉकलेट गिफ्ट करे।
सिंह राशि- के लोग बड़े ही रोमांटिक स्वाभाव के होते है। इसलिए आप उन्हें रेड वेलवेट चॉकलेट या हार्ट शेप चॉकलेट भी गिफ्ट कर सकते है।
माना जाता है कि ऐसा न करने से आपकी लव लाइफ में टेंशन बढ़ने लगती हैं गलतफेमियां तो होती ही है साथ ही साथ रिश्तों में दरार भी आ जाती है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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