अन्तर्राष्ट्रीय
दुबई के 2 हवाईअड्डों का होगा विस्तार
दुबई। दुबई के दो अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डों का विस्तार किया जाएगा, जिसके लिए सरकार ने तीन अरब डॉलर की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य 2025 तक इन हवाईअड्डों से सालाना 14.6 करोड़ यात्रियों को आवागमन की सेवा मुहैया कराना है। डीएक्सबी के नाम से लोकप्रिय दुबई अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा दुनिया का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा है, जहां से 2015 में 7.8 करोड़ यात्रियों ने यात्रा की।
वहीं दुबई के दक्षिण-पश्चिम में स्थित नए अल-मकतूम अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे (डीबल्यूसी) को दुबई के लिए प्राथमिक हवाईअड्डा बनाए जाने की योजना है।
दुबई हवाईअड्डा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पॉल ग्रिफिथ्स के मुताबिक, 2016 के अंत तक डीएक्सबी हवाईअड्डा से 8.5 करोड़ यात्रियों के आवागमन की उम्मीद है।
इससे पहले दुबई सरकार ने 14.6 करोड़ यात्रियों की बजाय 16 करोड़ यात्रियों की सेवा का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब इस आंकड़े को कम कर दिया गया है।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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