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दक्षिण में मुजिरिस कभी प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र था : चेरियन

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नई दिल्ली| केरल काउंसिल फॉर हिस्टोरिकल रिसर्च के संस्थापक निदेशक पी. जे. चेरियन का कहना है कि प्राचीन समय में दक्षिण भारत का मुजिरिस एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र था और करीब दो हजार साल पहले उसका रोम के साथ व्यापारिक संबंध था। चेरियन ने राजधानी में शुक्रवार को आयोजित एक व्याख्यान के दौरान कहा कि हाल ही में कोच्चि के उत्तर स्थिति मुजिरिस से पत्तनम में खुदाई से प्राप्त कलाकृतियांे से पता चला है कि यह बी. सी. और ए. डी. में दो शताब्दियों के दौरान हिंद महासागर व्यापार का एक प्रमुख केंद्र रहा है।

राष्ट्रीय संग्रहालय में ‘पत्तनम में भारतीय उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक चिन्ह’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में उन्होंने कहा कि वर्तमान एनार्कुलम जिले के पेरियार डेल्टा पर पत्तनम गांव से 5वीं शताब्दी ईस्वी तक की काफी संख्या में प्राप्त एम्फोरा पाचर्ड से रोमन काल में बाद में भी (250 ई. से 550 ई.) रोम के लोगों के द्वारा इस स्थल के उपयोग का पता चलता है।

राष्ट्रीय संग्रहालय में चल रही ‘अनअर्थिग पत्तनम: हिस्ट्री, कल्चर्स, क्रॉसिंग’ शीर्षक वाली प्रदर्शनी के क्यूरेटर डॉ. चेरियन ने कहा, “पत्तनम में जीवन की शुरुआत करीब 1,000 ईसा पूर्व के आसपास हुई और उतार-चढ़ाव के साथ 10 वीं शताब्दी ई. तक यह निरंतर सक्रिय रहा जब तक कि विभिन्न कारणों से यह खत्म नहीं हो गया। मुजिरिस म 1341 में आई संदिग्ध प्राकृतिक आपदा से पहले अपने मुखिया के नेतृत्व में, लोग बड़े पैमाने पर ‘अर्ध – आदिवासी’ रूप में रहते थे।”

केरल सरकार की मुजिरिस हेरिटेज परियोजना के तहत वर्ष 2007 से पत्तनम में की जा रही खुदाई के निदेशक ने कहा कि पत्तनम में मिले मिट्टी के काफी बर्तनों से इसके भारत में अन्य स्थलों के अलावा यमन और ओमान में लाल सागर पर हिंद महासागर के अन्य स्थलों से भी ‘स्पष्ट रूप से संबंध’ होने का पता चलता है। केरल विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन और बोर्ड ऑफ स्टडीज (पुरातत्व) के अध्यक्ष डॉ. चेरियन ने कहा कि अन्य स्थलों के अलावा, औसत समुद्री स्तर से 3.32 मीटर उपर स्थित पत्तनम के 70 हेक्टेयर भूखंड में आठ काल में 60 खाइयों में की गई खुदाई में उन्हें अन्य स्थलों के अलावा दक्षिणी इटली में भी काफी संख्या में एम्फोरा शराब के कंटेनर मिले हैं।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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