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जेठमलानी फीस मामला: भुगतान के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट का सुनवाई से इंकार

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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को नामंजूर कर दिया, जिसमें दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा लडऩे के लिए वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी को फीस के रूप में 1.22 करोड़ रुपये अदा करने से रोकने की मांग की गई थी।

कार्यवाहक प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल तथा न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की एक खंडपीठ ने याचिका नामंजूर कर दी और कहा कि यह मामला पहले ही दिल्ली के उपराज्यपाल के पास लंबित है। पीठ ने याचिकाकर्ता अलख आलोक श्रीवास्तव से कहा, “मामला पहले से ही उपराज्यपाल के पास लंबित है। अगर अधिकारी आपके द्वारा उठाए गए मुद्दे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, तभी आप न्यायालय का रुख कर सकते हैं।”

पीठ ने कहा, “न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। अनावश्यक जनहित याचिकाएं मत दाखिल कीजिए। न्यायालय का वक्त मत बर्बाद कीजिए।” श्रीवास्तव ने बाद में अपनी याचिका वापस ले ली। वकील ने याचिका में दिल्ली सरकार से सरकारी खजाने से वकील की फीस नहीं अदा करने की मांग की।

याचिका में 21 दिसंबर, 2016 की उस फाइल को दिल्ली सरकार तथा उपराज्यपाल से तत्काल वापस लेने के लिए निर्देश देने की मांग की गई, जिसमें केजरीवाल के खिलाफ दर्ज मानहानि का मुकदमा लडऩे के लिए जेठमलानी को फीस के भुगतान को मंजूरी दी गई है। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में कथित तौर पर अनियमितता को लेकर अपने खिलाफ की गई टिप्पणियों के लिए केजरीवाल तथा आप के पांच अन्य नेताओं के खिलाफ 10 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है, जिसमें केजरीवाल का मुकदमा जेठमलानी लड़ रहे हैं।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सामान्य प्रशासन विभाग को जेठमलानी के बिल का भुगतान करने का निर्देश दिया है। हालांकि दिल्ली सरकार के कानून विभाग ने कहा है कि उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना बिलों का भुगतान नहीं किया जा सकता। केजरीवाल ने पहले कहा था कि वह चाहते हैं कि जेठमलानी की कानूनी फीस का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाए, क्योंकि यह उनका व्यक्तिगत मामला नहीं है। वहीं, बिलों के भुगतान के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उपराज्यपाल की स्वीकृति मांगने के बाद जेठमलानी ने कहा है कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री का मुकदमा मुफ्त में लडऩे के लिए तैयार हैं।

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दिल्ली के स्कूलों की जांच में कुछ नहीं मिला, पुलिस बोली- ई-मेल्स और कॉल्स फर्जी

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नई दिल्ली। दिल्ली के स्कूलों में बम होने के धमकी भरे ईमेल के बाद जांच की गई तो वहां कुछ नहीं मिला। पुलिस अधिकारियों ने भी इसे होक्स ईमेल बताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि चेकिंग जारी रहेगी। गृह मंत्रालय ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी कॉल है। दिल्ली पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां प्रोटोकॉल के मुताबिक जरूरी कदम उठा रही हैं।

वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली के कुछ स्कूलों को बम की धमकी वाले ई-मेल मिले। दिल्ली पुलिस ने प्रोटोकॉल के तहत ऐसे सभी स्कूलों की गहन जांच की। कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिल। ऐसा प्रतीत होता है कि ये कॉल्स फर्जी हैं। हम जनता से अनुरोध करते हैं कि वे घबराएं नहीं और शांति बनाए रखें।

स्कूल में आए इस धमकी भरे ईमेल के बाद कई स्कूलों ने बच्चों की जल्द छुट्टी का मैसेज पेरेंट्स को भेज दिया, तो कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल जाकर पहले ही ले आए। इसके अलावा कई स्कूल के प्रिंसिपल ने पेरेंट्स को मैसेज भेज कर कहा कि घबराने की बात नहीं है।

नोएडा में इंद्रप्रस्थ ग्लोबल स्कूल (आईपीजीएस) की प्रिंसिपल निकिता तोमर मान ने बताया, “मैं लोगों से आग्रह करूंगी कि वे अनावश्यक घबराहट पैदा न करें और इस स्थिति को एक परिपक्व वयस्क के रूप में लें। दिल्ली-एनसीआर के जिन स्कूलों को धमकियां मिलीं, उन्हें खाली करा लिया गया है और हमारे सहित बाकी स्कूल सामान्य रूप से काम कर रहे हैं। कोई धमकी भरा संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।”

 

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