मुख्य समाचार
जीत की राह से भटके पंजाब के सामने मुंबई की मुश्किल चुनौती
इंदौर। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 10वें संस्करण में अच्छी शुरुआत के बाद रास्ते से भटकी किंग्स इलवेन पंजाब को अपने दूसरे गृहनगर में आज विजय रथ पर सवार मुंबई इंडियंस की कड़ी चुनौती का सामना करना है। दोनों टीमें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 10वें संस्करण में यहां के होल्कर स्टेडियम में भिड़ेंगी।
पंजाब ने शुरुआती दो मैच जीत कर इस संस्करण में अच्छी शुरुआत की थी लेकिन, इसके बाद लगातार तीन मैच हारने के कारण वह बैकफुट पर चली गई है। वहीं, मुंबई ने पहला मैच हारने के बाद शानदार वापसी की है और लगातार चार मैच जीत कर आठ टीमों की अंकतालिका में दूसरे स्थान पर है।
पंजाब ने शुरुआती दो मैच इसी मैदान पर जीते थे। एक बार फिर इस मैदान पर लौटने के बाद उसकी कोशिश जीत के रास्ते पर वापसी करने की होगी। टीम में हाशिम अमला, डेविड मिलर, कप्तान ग्लैन मैक्सवेल और रिद्धिमान साहा पर बल्लेबाजी की जिम्मेदारी होगी।
पिछले मैच में 50 गेंदों में 95 रनों की पारी खेलने वाले मनन वोहरा ने भी टीम की उम्मीदों को बढ़ाया है और बताया है कि वह भी बड़ा स्कोर कर सकते हैं। मनन हालांकि पिछले मैच में सनराइजर्स के खिलाफ अपनी टीम को जीत नहीं दिला सके थे, बावजूद इसके उनसे टीम की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
पंजाब की बल्लेबाजी उसकी ताकत है, लेकिन शुरुआती दो मैचों के बाद संयुक्त प्रदर्शन की कमी टीम में देखने को मिली है। गेंदबाजी में संदीप शर्मा ने प्रभावी गेंदबाजी की है। मोहित शर्मा, ईशांत शर्मा, अक्षर पटेल, केसी करियप्पा पर भी गेंदबाजी में काफी कुछ निर्भर करेगा।
राइजिंग पुणे सुपरजाएंट के खिलाफ खेले गए टूनार्मेट के पहले मैच में हारने के बाद मुंबई ने शानदार वापसी करते हुए लगातार चार जीत अपने हिस्से में डाली हैं। इस जीत में टीम के मध्यक्रम का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। मुंबई के मध्यक्रम में नीतीश राणा, क्रुणाल पांड्या और हार्दिक पांड्या हैं। इन तीनों ने अभी तक बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टीम को जीत के रास्ते पर बनाए रखा है। एक बार फिर मुंबई का प्रदर्शन इस तिगड़ी पर बहुत हद तक निर्भर करेगा।
मुंबई की सबसे बड़ी चिंता कप्तान रोहित शर्मा का रन न करना है। रोहित अभी तक उस अंदाज में नहीं दिखे हैं जिसके लिए वो जाने जाते हैं।
मुंबई की गेंदबाजी ने भी उसकी जीत में अहम रोल अदा किया है। लसिथ मलिंगा और जसप्रीत बुमराह अंत के ओवरों में विपक्षी टीम को रन बनाने से रोकते हैं तो मिशेल मैक्लेघन, हार्दिक, हरभजन सिंह, टिम साउदी और क्रुणाल शुरुआत और मध्य के ओवरों में टीम के लिए विकेट भी निकालते हैं।
टीम (संभावित) :
मुंबई इंडियंस : रोहित शर्मा (कप्तान), जसप्रीत बुमराह, जोस बटलर, श्रेयस गोपाल, कृष्णप्पा गौतम, असेला गुणारत्ने, हरभजन सिंह, मिशेल जॉनसन, कुलवंत खेजरोलियास, सिद्धेश लाड, मिशेल मैक्लेघन, लसिथ मलिंगा, हार्दिक पांड्या, पार्थिव पटेल (विकेटकीपर), केरन पोलार्ड, निकोलस पूरन, दीपक पुनिया, नीतीश राणा, जितेश शर्मा, कर्ण शर्मा, लेंडल सिमंस, टिम साउदी, जगदीश सुचिता, सौरभ तिवारी, और आर.विनय कुमार।
किंग्स इलेवन पंजाब : ग्लेन मैक्सवेल (कप्तान), मनन वोहरा, अक्षर पटेल, डेविड मिलर, गुरकीरत सिंह, अनुरीत सिंह, संदीप शर्मा, शॉन मार्श, रिद्धिमान साहा, निखिल नाइक, मोहित शर्मा, मार्कस स्टोइनिस, केसी करियप्पा, अरमान जाफर, प्रदीप सैनी, स्वप्निल सिंह, हाशिम अमला, वरुण एरॉन, इयोन मोर्गन, मैट हेनरी, राहुल तेवतिया, मार्टिन गुप्टिल, डारेन सैमी, रिंकू सिंह और टी.नटराजन।
नेशनल
लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।
एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।
हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।
-
लाइफ स्टाइल1 day ago
कैल्शियम की कमी को पूरा करती हैं ये चीजें, बनाएं डाइट का हिस्सा
-
अन्तर्राष्ट्रीय2 days ago
अमेरिका के साउथ कैरोलिना में बड़ा सड़क हादसा, गुजरात की तीन महिलाओं की मौत
-
नेशनल3 days ago
कर्नाटक के बेलगावी में बोले पीएम मोदी, कांग्रेस के शहजादे में नवाबों, बादशाहों के खिलाफ एक शब्द बोलने की ताकत नहीं है
-
नेशनल2 days ago
स्मृति ईरानी ने अमेठी से किया नामांकन, एमपी के सीएम मोहन यादव भी रहे मौजूद
-
नेशनल3 days ago
628 को उम्रकैद, 37 को दिलवाई फांसी, जानें कौन हैं मुंबई उत्तर मध्य सीट से बीजेपी उम्मीदवार उज्जवल निकम
-
नेशनल2 days ago
जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा
-
नेशनल2 days ago
इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति ने वापस लिया नामांकन, बीजेपी में होंगे शामिल
-
नेशनल1 day ago
भाजपा का परिवार आरक्षण ख़त्म करना चाहता है: अखिलेश यादव