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बिजनेस

आरबीआई के नवीनतम आंकड़े भी गणित में फेल

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भारतीय रिजर्व बैंक, आरबीआई, डिप्टी गवर्नर आर. गांधी, मीडिया, गणित में फेल RBI

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भारतीय रिजर्व बैंक, आरबीआई, डिप्टी गवर्नर आर. गांधी, मीडिया, गणित में फेल RBI

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नई दिल्ली | लगातार हो रही आलोचना के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लोगों को यह ठोस जानकारी दे पाने में नाकाम साबित हो रही है कि आखिरकार उसने कितने नए नोट जारी किए। बुधवार को जारी की गई अपनी नवीनतम प्रेस विज्ञप्ति में आरबीआई ने कहा कि उसने लोगों को कुल 22.6 अरब नोटों की आपूर्ति की जिसका कुल मूल्य 5.93 लाख करोड़ रुपये है।

लेकिन इस संख्या के आधार पर वितरित की गई रकम आरबीआई के पहले के बयानों से मेल नहीं खाती है और जोड़ घटाव करने पर गणितीय रूप से असंभव साबित होती है। वास्तव में, शीर्ष बैंक द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों और पहले के आंकड़ों में काफी बड़ा झोल दिख रहा है और इनमें 66,000 करोड़ रुपये से अधिक का अंतर है।

माना जा रहा है कि उच्च मूल्य के 10 फीसदी नोट 500 रुपये के नोट में वितरित किए गए। लेकिन अगर हम यह भी मान लें कि आरबीआई ने केवल 2,000 रुपये के नोट में ही दावा की जा रही रकम की आपूर्ति की है तो भी आंकड़ों में 34,000 करोड़ रुपये का अंतर है।  इस बारे में बार-बार स्पष्टीकरण मांगे जाने के बावजूद आरबीआई ने कोई जवाब नहीं दिया।

7 दिसंबर को मौद्रिक नीति की प्रेस वार्ता में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने मीडिया को सूचना दी थी कि अब तक कुल 4 लाख करोड़ रुपये नए नोट बैंकों के माध्यम से वितरित किए गए हैं।  इस रकम में से कुल 1.06 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 19.1 अरब नोट छोटे नोट के रूप में जारी किए गए। जबकि बाकी के 2.94 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट बड़े नोट (500 और 1000 रुपये के नोट) में जारी किए गए।

12 दिसंबर को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने बताया था कि 21.8 अरब नोट 10 दिसंबर तक जारी किए गए हैं जिनका मूल्य 4.61 लाख करोड़ रुपये है। अगले दिन आरबीआई ने बताया कि इनमें से 20.1 करोड़ नोट 10 से 100 रुपये मूल्य वाले हैं, जबकि ऊंचे मूल्य वाले नोट 170 करोड़ जारी हुए हैं। इनका हिसाब लगाने पर 31,000 करोड़ रुपये का अंतर मिलता है।

 

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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