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बिजनेस

निदेशक मंडल का निर्णय, केंद्र को 30,307 करोड़ रुपये का लाभांश देगा RBI

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RBI told on the budget

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि बोर्ड ने वित्त वर्ष 2022 के लिए केंद्र को लाभांश के रूप में 30,307 करोड़ रुपये के सरप्लस के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी है।

शुक्रवार को मुंबई में भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की 596वीं बैठक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इसके बाद वर्तमान आर्थिक समीक्षा की गई।

आरबीआई ने एक बयान में कहा कि बोर्ड ने लेखा वर्ष 2021-22 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष (सरप्लस) के रूप में 30,307 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दी, जबकि कंटिंजेंसी रिस्क बफर को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया।

गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की 596वीं बैठक में लाभांश भुगतान पर निर्णय लिया गया। पिछले साल मई में आरबीआई ने 9 महीने की अवधि (जुलाई 2020 से मार्च 2021) के लिए 99,122 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया था।

उस अवधि के लिए लाभांश का भुगतान किया गया था, क्योंकि आरबीआई ने अपने वित्तीय वर्ष को सरकार के वित्तीय वर्ष के साथ जोड़ दिया था। इससे पहले, आरबीआई सरकार के अप्रैल-मार्च वित्तीय वर्ष के मुकाबले जुलाई-जून की अवधि का पालन करता था।

चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने केंद्रीय बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से लाभांश राजस्व के रूप में 73,948 करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान लगाया था। यह वित्त वर्ष 22 में प्राप्त 1.01 लाख करोड़ रुपये से 27 प्रतिशत कम है।

अपनी बैठक के दौरान बोर्ड ने वर्तमान आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों और हाल के भू-राजनीतिक विकास के प्रभाव की भी समीक्षा की। इसके अलावा, बोर्ड ने वर्ष अप्रैल 2021 – मार्च 2022 के दौरान आरबीआई के कामकाज पर चर्चा की और लेखा वर्ष 2021-22 के लिए वार्षिक रिपोर्ट और खातों को मंजूरी दी।

आरबीआई का नया लाभांश पिछले वर्ष की तुलना में कम है। केंद्रीय बैंक को अपने लिक्विड मैनेजमेंट कार्यों से कम ब्याज आय प्राप्त होने की संभावना है।

2018-19 में RBI ने सरकार को कुल 1.76 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया, जिसमें से 1.23 लाख करोड़ रुपये लाभांश के रूप में थे और 52,637 करोड़ रुपये संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचे (ECF) के अनुसार पहचाने गए अतिरिक्त प्रावधानों के लिए थे।

पैनल का निर्णय

आरबीआई ने बिमल जालान समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुरूप 5.50 प्रतिशत पर एक कंटिंजेंसी रिस्क बफर (Contingency Risk Buffer range) बनाए रखने का भी निर्णय लिया गया। पैनल ने कंटिंजेंसी रिस्क बफर रेंज (Contingency Risk Buffer range) 6.5 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत निर्धारित किया था।

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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