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आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या, जंगल में फेंका शव

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मुरैना/भोपाल। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में सूचना के अधिकार के लिए काम करने वाले मुकेश दुबे की लाठी-डंडों से पीटकर हत्या कर दी गई। पुलिस दुबे को अपराधी बता रही है, वहीं सूचनाधिकार कार्यकर्ताओं ने मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है।

पुलिस के अनुसार, सुमावली थाना के मटकौरा गांव में एक युवक का मंगलवार की सुबह शव मिला, उसकी पहचान जेब से निकले परिचयपत्र से हुई। मुकेश मुरैना का रहने वाला था, उसके शरीर पर चोट के निशान हैं। आशंका जताई जा रही है कि उसे मारकर जंगल में फेंका गया होगा।

राजधानी में एक सूचनाधिकार कार्यकर्ता अजय दुबे ने मुख्य सूचना आयुक्त के नाम ज्ञापन देकर सूचना के अधिकार के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता की निर्मम हत्या की सीबीआई जांच की मांग की है।

वहीं ऐश्वर्य पांडे ने कहा है कि सूचना के अधिकार के जरिए जानकारी मांगना कठिन होता जा रहा है। मुरैना में दुबे ने पंचायतों के भ्रष्टाचार की कलई खोलने की कोशिश की तो उसे मौत के घाट उतार दिया गया।

बामौर के अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस (एसडीओ,पी) आत्माराम शर्मा ने बताया कि मुकेश दुबे के खिलाफ कई प्रकरण दर्ज हैं, वह अपराधी किस्म का व्यक्ति था। पुलिस जांच कर रही है।

नेशनल

इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति ने वापस लिया नामांकन, बीजेपी में होंगे शामिल

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इंदौर। लोकसभा चुनाव से पहले ही इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। अक्षय कांति के इस फैसले फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कलेक्टर कार्यालय में जाकर बीजेपी के उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने उन्होंने अपना पर्चा वापस लिया। इस दौरान बीजेपी के नेता रमेश मेंदोला भी साथ थे। इसके बाद में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि बम भाजपा की सदस्‍यता लेंगे।

इंदौर कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ माना जाता है। विजयवर्गीय इंदौर 1 से विधायक हैं। उन्होंने एक्स पर अक्षय कांति बम की तस्वीर के साथ लिखा, ”इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम जी का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है।”

इसके बाद इंदौर सीट पर अब भाजपा के लिए मैदान लगभग साफ हो गया है, उसके सामने निर्दलीय और अन्य दलों के अलावा कोई प्रत्याशी नहीं बचा। नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय कांति बम ने कहा कि जब से उन्होंने नामांकन जमा किया था, तब से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय कांति पर दबाव बना रही थी।

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