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अशुभ को शुभ करने की तैयारी में योगी, आज रवाना होंगे नोएडा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नोएडा जाने को लेकर पिछले कई दशकों से चले आ रहे मिथक को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तोडऩे के मूड में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को उत्तर प्रदेश में 29 वर्ष से चले आ रहे एक बड़े मिथक को तोड़ेंगे।
उप्र में बनी पिछली कई सरकारों के मुख्यमंत्री इस अंधविश्वास की वजह से नोएडा नहीं जाते थे कि वहां जाने से उनकी कुर्सी चली जाएगी लेकिन योगी का कहना है कि वह इस अंधविश्वास को तोडऩे के लिए नोएडा जाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोएडा के बोटेनिकल गार्डन से दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी तक जाने वाली मेट्रो रेल सेवा का उद्घाटन करेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस समारोह में शामिल होंगे।
मुख्यमंत्री योगी का कहना है कि वह अशुभ को शुभ करने जाएंगे। अधिकारियों के मुताबिक, हालांकि योगी 23 को नोएडा जाकर वहां 25 दिसंबर के कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा भी करेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री हैं जो जानबूझकर राजनीतिक रूप से मनहूस माने जाने वाले नोएडा जाने की हिम्मत कर रहे हैं। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती 2011 में नोएडा गई थीं और 2012 के चुनावों में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था।

गौरतलब है कि सियासी गलियारों में नोएडा को लेकर यह अंधविश्वास है कि अगर प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा का दौरा करता है तो उसको कुर्सी गंवानी पड़ती है। आधुनिक तकनीक के कायल तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पूरे कार्यकाल में नोएडा जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
इससे पहले उप्र का मुख्यमंत्री रहते हुए हुए वीर बहादुर सिंह ने नोएडा का दौरा किया था जिसके कुछ दिन बाद जून 1988 को उनकी कुर्सी चली गई थी। 1989 में नारायण दत्त तिवारी और 1999 में कल्याण सिंह की कुर्सी भी नोएडा आने के बाद चली गई थी।
इसके बाद 1995 में मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने नोएडा का दौरा किया पर अगली बार वह सत्ता से बाहर हो गए और 1997 में मायावती के नोएडा आने के बाद ही सत्ता ने उनसे दूरी बना ली। वहीं मायावती दोबारा 2011 में नोएडा आईं और 2012 के चुनाव में वह हार गईं।

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इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति ने वापस लिया नामांकन, बीजेपी में होंगे शामिल

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इंदौर। लोकसभा चुनाव से पहले ही इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। अक्षय कांति के इस फैसले फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कलेक्टर कार्यालय में जाकर बीजेपी के उम्मीदवार शंकर लालवानी के सामने उन्होंने अपना पर्चा वापस लिया। इस दौरान बीजेपी के नेता रमेश मेंदोला भी साथ थे। इसके बाद में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला के साथ भाजपा कार्यालय के लिए रवाना हो गए। माना जा रहा है कि बम भाजपा की सदस्‍यता लेंगे।

इंदौर कैलाश विजयवर्गीय का गढ़ माना जाता है। विजयवर्गीय इंदौर 1 से विधायक हैं। उन्होंने एक्स पर अक्षय कांति बम की तस्वीर के साथ लिखा, ”इंदौर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम जी का माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में बीजेपी में स्वागत है।”

इसके बाद इंदौर सीट पर अब भाजपा के लिए मैदान लगभग साफ हो गया है, उसके सामने निर्दलीय और अन्य दलों के अलावा कोई प्रत्याशी नहीं बचा। नामांकन वापस लेने के बाद अक्षय कांति बम ने कहा कि जब से उन्होंने नामांकन जमा किया था, तब से ही कांग्रेस की ओर से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि फॉर्म भरने के बाद से ही कांग्रेस अक्षय कांति पर दबाव बना रही थी।

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