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अर्थव्यवस्था का पूर्ण पुनर्मुद्रीकरण 1-2 महीने में : सुब्रह्मण्यम

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Chief Economic Advisor Dr Arvind Subramanian

                Dr Arvind Subramanian

नई दिल्ली | भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रह्मण्यम ने मंगलवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का पूर्ण पुनर्मुद्रीकरण अगले 1-2 महीने में हो जाएगा और उन्होंने नकदी निकालने की सीमा तुरंत हटाने की सिफारिश की, ताकि विकास दर में तेजी आ सके। सुब्रमण्यम ने कहा, “यह कहना सही होगा कि नोटबंदी का अल्पकालिक लागत, जोकि महत्वपपूर्ण है चुकाना पड़ा है, खासतौर से अनौपचारिक क्षेत्र को। लेकिन यह प्रभाव अस्थायी है। जैसे ही पुनर्मुद्रीकरण होगा, अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी।”

उन्होंने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 प्रस्तुत किए जाने के बाद एक पत्रकार वार्ता में कहा, “अगले 1-2 महीनों में हम अर्थव्यवस्था के पूर्ण पुनर्मुद्रीकरण के करीब पहुंच जाएंगे।”

उन्होंने कहा कि पुनर्मुद्रीकरण की प्रक्रिया तेजी से होनी चाहिए और नकदी निकालने की सीमा बढ़ाने से हालात सुधरे हैं।

सुब्रह्मण्यम ने यह भी कहा कि नोटबंदी से डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा मिला है। हालांकि यह प्रोत्साहन के आधार पर करना चाहिए न कि लोगों को मजबूर कर के किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “मैं समझता हूं कि बदलाव धीरे-धीरे और समावेशी तरीके से होना चाहिए, क्योंकि बहुत सारे लोग अभी डिजिटली जुड़े हुए नहीं है। इसे प्रोत्साहन के आधार पर होना चाहिए न कि जबरदस्ती। डिजिटलीकरण के बहुत सारे फायदे हैं, लेकिन इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी, क्योंकि गरीबों की इस तकनीक तक पहुंच नहीं है।”

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने आठ नवंबर को की गई नोटबंदी को ‘एक असामान्य और अभूतपूर्व’ मौद्रिक अनुभव बताया और कहा कि इसके प्रभाव की सावधानी से समीक्षा करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “यह मौद्रिक इतिहास का बेहद असामान्य अनुभव था। हमें इसके असर का अनुमान लगाने में सावधानी बरतनी चाहिए। नोटबंदी ने बहुत ही अलग ढंग से मुद्रा के विभिन्न रूपों को प्रभावित किया है।”

नोटबंदी के कारण नकदी की कमी हो गई, वहीं, बैंकों के पास भारी मात्रा में धन जमा हो गया। इसके कारण बैंकों ने उधारी की दर में 90 आधार अंकों की कटौती की, ताकि वे अतिरिक्त तरलता को कम कर सकें।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अल्पकालिक अवधि में अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ती है, उपभोग बढ़ता है तो पुनर्मुद्रीकरण के साथ निर्यात में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट आएगी।

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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो

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नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।

व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।

तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।

व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।

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