नेशनल
अमित शाह ने संसद में बताया क्यों दिल्ली दंगों पर चर्चा में हुई देरी?
नई दिल्ली। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में दिल्ली दंगों पर अपना बयान दिया। अमित शाह ने कांग्रेस सांसद अधीर रंजन के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि दंगों पर चर्चा में इतनी देरी क्यों हुई?
अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि 25 तारीख की रात के बाद दंगे नहीं भड़के। उन्होंने आगे कहा कि 2 मार्च से सदन शुरू होने के बाद संसद में मांग उठी कि दिल्ली दंगों पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन हमने होली के बाद चर्चा करने कि बात की।
अमित शाह ने बताया कि हमने ऐसा इस लिए कहा क्योंकि होली में भावनाएं भड़कने का डर रहता है इसलिए हमने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए होली के बाद की तारीख रखी।
उन्होंने आगे कहा कि सदन में चर्चा के लिए दिल्ली पुलिस को भी जांच की जरूरत थी इस लिए सरकार की तरफ से 11 मार्च की तारीख निर्धारित की गई।
गौरतलब है कि ट्रंप के भारत यात्रा के दौरान देश की राजधानी दिल्ली में सीएए को लेकर दंगे हो गए थे। इन दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। साथ ही करोड़ों रूपए की संपत्ति का नुकसान भी हो गया था।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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