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अद्वितीय फीचर एलो को बनाएंगे नम्बर-1 मैसेजिंग ऐप : गूगल
नई दिल्ली | गूगल के स्मार्ट मैसेजिंग ऐप-एलो को लांच हुए तीन महीने हो चुके हैं। भारत में व्हाट्सअप के 16 लाख उपयोगकर्ता हैं और दुनिया भर में एक अरब से अधिक। ऐसे में एलो को वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ बनाने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है और साथ ही इसके लिए उसे लगातार रोचक फीचर्स इसमें जोड़ते रहना होगा। गूगल का कहना है कि एलो की विविधता में चार चांद लगाने का काम लगातार जारी है और उसे उम्मीद है कि तकनीक की उत्कृष्टता ही एलो को
जनमानस में लोकप्रियता दिला देगी। अपने इस ऐप को जनमानस में लोकप्रिय बनाने के लिए गूगल ने बीते दिनों हिंदी में एलो असिस्टेंट लांच किया। पहले यह सेवा जर्मन, अंग्रेजी और हिंग्लिश में भी उपलब्ध थी लेकिन अब लोग हिंदी लिखकर या बोलकर एलो से जानकारी हासिल कर सकते हैं और इसके साथ वार्तालाप कर सकते हैं, जो कई मायनों में मनोरंजक हो सकता है। गूगल ने कहा है कि आने वाले समय में एलो पर अन्य भाषाओं में असिस्टेंट लांच किया जाएगा।
अमेरिका स्थित एलो के प्रोजेक्ट मैनेजर अमित फुले ने बताया कि एलो को हिंदी बोलने या जानने वालों के लिए उपयोगी बनाने की दिशा में गूगल ने एलो असिस्टेंट के साथ कई सारे स्टीकर्स भी जोड़े हैं, जो हिंदी भाषी लोगों को खूब रास आएंगे क्योंकि इन्हें विशेष तौर पर उन्हीं के लिए तैयार किया गया है। गूगल का प्रयास है कि विभिन्न स्टीकर्स के माध्यम से लोग एलो असिस्टेंट के साथ बेहतर तरीके से भाषाई सम्पर्क कर सकेंगे।
गूगल मानता है कि एलो के असिस्टेंट को हिंदी में लांच करने की सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत में 40 फीसदी लोग हिंदीभाषी हैं और ऐसी उम्मीद है कि 2030 तक हिंदीभाषी मैसेजकर्ताओं की संख्या अंग्रेजी में मैसेज करने वालों से अधिक हो जाएगी। फुले ने बताया कि गूगल के लिए भारत एक महत्वपूर्ण बाजार है और यही कारण है कि एलो को हिंदी में लांच किया गया।
अमित ने बताया कि गूगल ने एलो असिस्टेंट को इससे पहले ब्राजील में पुर्तगीज भाषा में लांच किया है और यह काफी सफल रहा है। गूगल के लिए क्षेत्रीय भाषाएं अंग्रेजी की तरह ही अहम हैं क्योंकि इनकी पहुंच काफी अधिक है। ब्राजील में पुर्तगीज में एलो के स्थानीय असिस्टेंट की सफलता ने गूगल को भारत में हिंदी असिस्टेंट लांच करने के लिए प्रेरित किया।
अमित ने हालांकि कहा कि ग्रुप चैट में एलो ने काफी अच्छी पकड़ बना ली है। उन्होंने कहा, “भारत उन देशों में से एक है, जहां गूगल एलो के उपयोगकर्ताओं की संख्या सबसे अधिक है। गूगल असिस्टेंट गूगल एलो का सबसे लोकप्रिय फीचर है। ग्रुप चैट में हर 12 में से एक मैसेज गूगल असिस्टेन्ट को किया जाता है। हम इस रेस्पॉन्स से बेहद उत्साहित हैं। एलो लाखों उपयोगकर्ताओं को उनकी अपनी भाषा में ये सुविधाएं उपलब्ध कराएगा।”
गूगल मानता है कि एलो ऐप पर मौजूद असिस्टेन्ट उपयोगकर्ताओं का अपना साथी है और यह उनकी जरूरतों के अनुसार हर जरूरी जानकारी देता है। यह उनके काम पूरे करने में, दोस्तों के साथ चैट करने में, गेम्स खेलने में मदद करता है। उपयोगकर्ता अपनी चैट विंडो में चैट जारी रखते हुए एक साथ ये सभी काम कर सकते हैं।
व्हाट्सअप की पहुंच दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोगों तक है। एलो को लांच हुए तीन महीने हो चुके हैं। ग्रुप चैट में यह बेशक काफी तेजी से तरक्की करता हुआ दिख रहा है लेकिन आम पहचान की चर्चा की जाए तो इसकी पहुंच बहुत ज्यादा नहीं दिखती। इसे लेकर क्या गूगल चिंतित है? इस पर अमित ने कहा, ” गूगल ने क्रोम लांच किया था, तब यह सवाल किया गया था कि क्या दुनिया को एक और ब्राउजर की जरूरत है? क्रोम ने समय के साथ इन लोगों को जवाब दे दिया और आज यह सबसे लोकप्रिय ब्राउजर है।
गूगल को इस बात की कभी चिंता नहीं रही कि उसके उत्पाद सफल होंगे या नहीं। गूगल को अपने उत्पादों की सफलता की गारंटी रहती है क्योंकि वे समय के साथ होते हैं व तकनीक से भरपूर होते हैं। एलो भी एक दिन अपनी जगह बना लेगा क्योंकि यह जिस तरह की तकनीक और विशेषताओं से लैस है, वही इसे लोगों में लोकप्रिय बना देंगे।”
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केंद्र सरकार का बड़ा एक्शन, 70 लाख मोबाइल नंबर हुए सस्पेंड; जानें क्या है कारण
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक बड़ा एक्शन लेते हुए 70 लाख मोबाइल नंबर को सस्पेंड कर दिया है। यानी इन मोबाइल नंबर का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अब आपके जेहन में ही यही सवाल आ रहा होगा कि आखिर सरकार की ओर से यह कदम क्यों उठाया गया है। दरअसल, यह कदम बढ़ते डिजिटल फ्रॉड को देखते हुए उठाया गया है।
इस वजह से हुए मोबाइल नंबर सस्पेंड
सस्पेंड किए गए ये वे मोबाइल नंबर थे जो किसी तरह के संदिग्ध लेन-देन से जुड़े थे। दरअसल, इस मामले को लेकर वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने मंगलवार को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के समय में डिजिटल पेमेंट को लेकर हो रही धोखाधड़ी को देखते हुए ऐसा किया गया है। बता दें, वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने यह जानकारी डिजिटल पेमेंट को लेकर धोखाधड़ी और इससे जुड़े मुद्दों पर बैठक के बाद दी है।
जनवरी में होगी अगली बैठक
जोशी ने कहा है कि डिजिटल फ्रॉड के बढ़ते मामलों को देखते हुए बैंकों को भी निर्देश दिए गए हैं। बैंकों को उनकी प्रक्रियाओं और प्रणालियों को पहले से मजबूत बनाने को कहा गया है। उन्होंने बैठक को लेकर जानकारी देते हुए कहा है कि इस मुद्दे पर आगे भी बैठकें होती रहेंगी। इसी के साथ मामले पर अगली बैठक अगले साल जनवरी में रखी गई है।
वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AEPS) धोखाधड़ी को लेकर कहा है कि राज्यों को इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है। इसी के साथ राज्य सरकारों को डेटा सुरक्षा को भी मजबूत बनाने पर गौर देना चाहिए।
फ्रॉड के मामले कैसे होंगे कम
विवेक जोशी ने कहा है कि डिजिटल धोखाधड़ी को लेकर जागरुकता बेहद जरूरी है। इस तरह की धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि समाज को इन मामलों से अवगत करवाया जाए और जागरुक किया जाए। मालूम हो कि हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी साइबर धोखाधड़ी को लेकर समाज को जागरुक करने की बात पर जोर दिया था।
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