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सूखे पर ‘राष्ट्र संत’ की चिंता से संघ, सरकारें सकते में

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भोपाल। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सूखे के चलते किसानों की आत्महत्याओं और आयोजनों के नाम पर होने वाले खर्च पर राष्ट्र संत भय्यूजी महाराज (उदय सिंह देशमुख) द्वारा चिंता जताए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकारें और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) सकते में आ गया है। यही कारण है कि भाजपा और संघ से जुड़े लोग भय्यूजी महाराज को मनाने में जुट गए हैं।

महाराष्ट्र में सूखे के चलते हुई आत्महत्याओं पर भय्यूजी महाराज पहले चिंता जता चुके हैं। उन्होंने यहां के 340 उन गांव का सर्वेक्षण कराया है, जहां सूखे के हालात हैं। उसके बाद मध्य प्रदेश में सूखा के बीच अगले वर्ष उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ से पहले इंदौर में हुए ‘अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन’ पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने पर सवाल उठाकर भाजपा और संघ को सकते में डाल दिया है। इसके साथ ही हालात पर सोचने को मजबूर कर दिया है।

भय्यूजी ने पिछले दिनों कहा था, “आयोजन पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, वहीं अन्नदाता भूखों मर रहा है, आत्महत्या कर रहा है, मगर सरकार अन्नदाता और गरीबों के बारे में सोचने को तैयार नहीं है।” भय्यूजी का यह बयान आने के बाद एक तरफ जहां संघ सकते में आया, तो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी सक्रिय हो गए।

सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने रविवार को इंदौर पहुंचकर भय्यूजी से बंद कमरे में मुलाकात की और अपनी बात रखी, वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनसे फोन पर बात की। साथ ही सूखा से उबारने किसानों के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्योरा दिया।

भय्यूजी महाराज ने बातचीत में कहा कि वह किसानों की हालत को लेकर चिंतित हैं। इस पर वह सार्वजनिक तौर पर चिंता भी जता चुके हैं। उन्होंने कहा, “जहां तक इंदौर के वैचारिक मंथन की बात है, मेरा इतना कहना है कि देश में सूखे के हालात हैं, किसान आत्महत्या कर रहा है, उसके बारे में भी सोचा जाना चाहिए।”

ज्ञात हो कि अक्टूबर माह में इंदौर में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का आयोजन किया था। इस सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के धर्मगुरु और आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया था। कई अतिथियों को तो सरकार ने हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर तक की सुविधा मुहैया कराई थी। इस पर करोड़ों रुपये खर्च हुए और इसी पर भय्यूजी ने आपत्ति दर्ज कराई थी।

यहां बताना लाजिमी होगा कि भय्यूजी महाराज की संघ और भाजपा से काफी नजदीकिया हैं। उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पुराना न केवल परिचय है, बल्कि मोदी कई कार्यक्रमों में उनके साथ भी नजर आए हैं। वहीं महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस के नेताओं और राज ठाकरे से करीबी किसी से छुपी नहीं है। कांग्रेस के कार्यकाल में दिल्ली में हुए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के अनशन को खत्म कराने में भी उनकी अहम भूमिका रही थी।

जानकारों की मानें तो सूखे से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं, इसको लेकर कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल भाजपा पर हमले कर रहे हैं। उन आरोपों को तो भाजपा विरोधियों का आरोप बताकर टाल जाती है, मगर एक संत ही जब यह सवाल उठाने लगेगा तो उसे जवाब देना कठिन हो जाएगा। यही सोचकर भाजपा और संघ ने भय्यूजी महाराज को मनाने की कोशिश शुरू कर दी है।

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पांचवें चरण में यूपी की इन 14 सीटों पर डाले जा रहे वोट, राहुल-राजनाथ समेत कई दिग्गज मैदान में

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नई दिल्ली। देश में आज पांचवे चरण के लिए मतदान हो रहा है, जिसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी सहित चुनाव मैदान में है। इसी चरण में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की भी 14 सीटों पर मतदान है। आज सभी दिग्गज नेताओं की किस्मत ईवीएम में बंद हो जाएगी। हालांकि जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें ज्यादातर सीटें पिछली बार बीजेपी के पास ही थी इसलिए भारतीय जनता पार्टी आश्वत है कि सभी 14 सीटों पर जीत दर्ज होगी।

2019 के चुनाव में सिर्फ रायबरेली को छोड़कर सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। रायबरेली से सोनिया गांधी ने जीत दर्ज की थी. राजनाथ सिंह लखनऊ से तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ सपा-कांग्रेस गठबंधन से रविदास मेहरोत्रा और बसपा के सरवर अली चुनावी मैदान में हैं।

अमेठी लोकसभा से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक बार फिर से चुनाव लड़ रही हैं। 2019 में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को हराया था. उनके खिलाफ गांधी परिवार के खास किशोरीलाल शर्मा ताल ठोक रहे हैं। शर्मा का दावा है कि 40 सालों से वो अमेठी की जनता से जुड़े हैं। उन्होंने राजीव गांधी के साथ भी रैलियों में भाग लिया था। इस सीट पर कांग्रेस के बड़े नेताओं का पूरा फोकस है।

वहीं लखनऊ से सटे मोहनलालगंज से केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार कौशल किशोर तीसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनको सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार आर.के. चौधरी से कड़ी चुनौती मिल सकती है। वहीं बहुजन समाज पार्टी से राजेश कुमार मैदान में हैं। फतेहपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा से प्रत्याशी साध्वी निरंजन ज्योति एक बार फिर से चुनावी रण में हैं। वह 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुकी हैं। सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल से उनको कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है। बसपा ने यहां से पिछड़ी जाति के कुर्मी बिरादरी के प्रत्याशी डॉक्टर मनीष सचान को मैदान में उतार कर सपा व भाजपा की धड़कन बढ़ा दी है।

भाजपा ने जालौन सीट से पांच बार के सांसद और वर्तमान में मंत्री भानु प्रताप वर्मा को एक बार फिर से मैदान में उतारा है। उनके खिलाफ सपा-कांग्रेस से नारायण दास अहिरवार मैदान में हैं। अहिरवार बसपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं। वह 2007 से 2011 तक मायावती सरकार में मंत्री थे. 2022 में वह सपा में आ गए थे। वैसे इस सीट पर बसपा का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता रहा है। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में गई थी। इस बार भानू प्रताप का मुकाबला इन्हीं से माना जा रहा है।

इसके अलावा इस चरण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी रायबरेली से ताल ठोक रहे हैं. उनका मुख्य मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है. राहुल गांधी ने इस चुनाव में वायनाड के अलावा रायबरेली सीट से भी पर्चा भरा है. वायनाड में पहले ही वोटिंग हो चुकी है. रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है. खुद सोनिया गांधी इस सीट से चुनाव जीतती आई हैं. हालांकि इस बार वे राज्यसभा की ओर रुख कर चुकी हैं. लिहाजा राहुल गांधी ने इस सीट से पर्चा भरा है. भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस में रह चुके हैं. 2018 में भाजपा में शामिल हो गए और 2019 में रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े. वे 1.67 लाख वोट से हार गए थे. एक बार फिर भाजपा के उम्मीदवार के रूप में यहां से मैदान में हैं.

इसके साथ ही यूपी की कैसरगंज भी काफी चर्चित सीट है. जिसमें बृजभूषण शरण सिंह को इस बार विवादों के चलते भाजपा ने टिकट नहीं दिया. लेकिन उनके बेटे करण भूषण सिंह चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं. कौशांबी सीट पर वर्तमान सांसद विनोद सोनकर भी तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ महज 25 साल के प्रत्याशी पुष्पेंद्र सरोज समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं

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