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सत्यम घोटाला मामले में राजू सहित 10 को 7 साल की कैद

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हैदराबाद। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को सत्यम घोटाले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए बी. रामालिंगा राजू और उनके दो भाइयों सहित 10 लोगों को सात साल कैद की सजा सुनाई। एक अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड के संस्थापक एवं पूर्व अध्यक्ष रामालिंगा राजू और उनके भाई बी. रामा राजू पर पांच करोड़ रुपये और शेष आठ अभियुक्तों पर 20-25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

इससे पहले अदालत ने उन्हें और उनके दो भाइयों सहित 10 लोगों को दोषी करार दिया था। सीबीआई के एक अधिवक्ता ने बताया कि रामालिंगा और उसके भाई बी. रामा राजू को विश्वासघात करने और धोखाधड़ी का दोषी पाया गया। अदालत ने घोटाले के आरोपी आठ अन्य लोगों को आपराधिक साजिश रचने का दोषी करार दिया है। राजू और उनके भाई बी. रामा राजू सहित सजा पाए गए आठ लोगों में रामालिंगा के दूसरे भाई बी. सूर्य नारायण राजू, सत्यम के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी वादलामणि श्रीनिवास, प्राइसवाटरहाउसकूपर्स के पूर्व ऑडिटर सुब्रमणि गोपालकृष्णन और टी श्रीनिवास तथा पूर्व कर्मचारी जी. रामकृष्ण, डी. वेंकटपति राजू और श्रीशैलम एवं सत्यम के पूर्व आंतरिक मुख्य ऑडिटर वी.एस. प्रभाकर गुप्ता शामिल हैं।

सीबीआई अदालत के विशेष न्यायधीश बी.वी.एल.एन. चक्रवर्ती ने सभी आरोपियों की उपस्थिति में यह फैसला सुनाया, जिसमें मीडिया को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। अदालत के सूत्रों ने बताया कि न्यायाधीश द्वारा पूरा फैसला सुनाए जाने के बाद ही सजा की विस्तृत जानकारी मिलेगी। सत्यम घोटला सात जनवरी, 2009 को प्रकाश में आया था, जब रामालिंगा राजू ने स्वीकार किया था कि कंपनी कई सालों से अपना मुनाफा कई करोड़ रुपये बढ़ा-चढ़ा कर दिखा रही थी। कुछ शेयरधारकों की शिकायत पर दो साल बाद पुलिस ने रामालिंगा को हिरासत में लिया था।

सीबीआई ने फरवरी, 2009 में इसकी जांच शुरू की थी। अपनी जांच में इसने बताया था कि इस घोटाले में शेयरधारकों को 14 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीबीआई ने रामालिंगा पर सत्यम से अपने परिवार की हिस्सेदारी बेचकर 2,5000 करोड़ रुपये का लाभ कमाने का भी आरोप लगाया था। रामालिंगा पर कई झूठी कंपनियां बनाकर इनके नाम जमीन खरीदने का भी आरोप था। आंध्र प्रदेश पुलिस ने उन्हें नौ जनवरी, 2009 को गिरफ्तार किया था।

सीबीआई ने जांच के बाद रामालिंगा तथा अन्य आरोपियों के खिलाफ तीन आरोप पत्र दाखिल की थीं, जिसमें उन पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, जालसाजी, खातों में हेराफेरी और विश्वासघात का आरोप लगाया गया था। वर्ष 2011 में जमानत पर रिहा होने के बाद राजू ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोंपों को झूठा बताया था। घोटाले के बाद एक सरकारी नीलामी में सत्यम कंप्यूटर्स को टेक महिंद्रा ने खरीद लिया था। महिंद्रा सत्यम बाद में टेक महिंद्रा में विलय हो गई थी। आर्थिक अपराधों की एक अदालत ने गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यायलय (एसएफआईओ) द्वारा दायर किए गए सात में से छह मामलों में फैसला करते हुए पिछले साल आठ दिसंबर को रामालिंगा राजू और तीन अन्य लोगों को छह महीने कैद की सजा सुनाई थी।

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संजय सिंह ने एग्जिट पोल को बताया बेबुनियाद, बंद कराने की उठाई मांग

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने से पहले आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने एग्जिट पोल्स की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने एग्जिट पोल्स को बंद कराने की मांग भी की है। उनका कहना है कि ये एग्जिट पोल बेबुनियाद होते हैं। इसके लिए उन्होंने कई तर्क भी दिए। उन्होंने कहा कि जहां जितनी सीटें नहीं, उतनी सीटों पर चुनाव लड़वा रहे। कहीं भाजपा को दे रहे कुल वोट से ज्यादा शेयर तो कहीं उस पार्टी को चुनाव लड़वा दिया, जिसने उम्मीदवार ही नहीं उतारे।

उन्होंने कहा कि झारखंड में सीपीआईएम चुनाव ही नही लड़ रही है और उसे 2 से 3 सीट दे रहे हैं। तमिलनाडु में कांग्रेस खुद 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और एक्जिट पोल कांग्रेस को 13 सीट जीता रहे हैं। तमिलनाडु को बीजेपी को 34% वोट शेयर मिला है। बीजेपी खुद इस पर विश्वास नहीं कर रही। उत्तराखंड में कुल सीट 5 हैं, लेकिन बीजेपी 6 सीटों पर जीत रही है। हिमाचल में मतगणना होगी 4 सीट पर और आएंगी 6 सीट।

संजय सिंह ने कहा “राजस्थान 25 सीट पर नतीजे आएंगे और 33 सीटें मिल जाएंगी। यूपी में एनडीए की सीटें बढ़ गईं, इंडिया गठबंधन की घट गईं। केरल में 27 % वोट शेयर बीजेपी सुन कर बेहोश हो गई। ये कौन सा एक्जिट पोल है। एक्जिट पोल के इतिहास पर भी सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि 2004 में एक्जिट पोल ने बीजेपी को जिता दिया था। बंगाल विधानसभा में बीजेपी को जिता दिया था, जबकि नतीजे इसके उलट रहे थे।

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