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अन्तर्राष्ट्रीय

शरीफ ने पेशावर में बुलाई सर्वदलीय बैठक

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इस्लामाबाद| प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बुधवार को पेशावर में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, जहां आतंकवाद के खिलाफ जंग के लिए सभी दल नए सिरे से अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करेंगे। समाचार पत्र ‘डॉन’ की वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूचना मंत्री परवेज राशिद ने कहा, “संसद की सभी पार्टियों के प्रमुखों को बैठक में बुलाया गया है।”

उन्होंने कहा, “यह सर्वदलीय बैठक सभी राजनीतिक बलों से आतंकवाद के खिलाफ समर्थन और सहयोग मांगने के लिए बुलाई गई है।”

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी तालिबान के हथियारबंद और आत्मघाती हमलावरों ने मंगलवार को पेशावर के एक सैनिक स्कूल में घुसकर 148 लोगों की हत्या कर दी, जिनमें 132 बच्चे शामिल हैं।

तालिबान का कहना है कि पेशावर के सैन्य स्कूल पर हमला उन्होंने पाकिस्तान की सेना द्वारा उत्तरी वजीरिस्तान में चरमपंथियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के प्रतिशोध स्वरूप किया है।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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