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अन्तर्राष्ट्रीय

रूस से सैन्य उपकरण खरीदेगा पाकिस्तान

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वाशिंगटन| पाकिस्तान जल्द ही रूस से सैन्य उपकरणों और हथियारों की खरीदारी कर सकता है। पाकिस्तान को रूस से ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग मिलने की भी उम्मीद है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी ‘तास’ ने विदेशी मामलों पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विशेष सहायक तारिक फातमी को बताया कि रूस और पाकिस्तान संबंधों के लिए पिछले कुछ सालों से किए जा रहे प्रयास अब सफल होते दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से रूस और पाकिस्तान ने आगे बढ़ने में काफी प्रगति की है। दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए एक ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

फातमी ने कहा, “हम रूस से सैन्य उपकरणों को खरीदने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। हालांकि अभी इस दिशा में कोई समझौता नहीं हुआ है।”

उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस बिजली के उत्पादन और ऊर्जा क्षेत्र में हमारी मदद में सक्षम है।

रूस के पास विशेष कौशल, योग्यता और अनुभव है। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में सोवियत संघ पहला देश था, जिसने ऊर्जा क्षेत्र में पाकिस्तान की मदद की थी।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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