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अन्तर्राष्ट्रीय

रूस के खिलाफ न हो सुरक्षा नीति : मर्केल

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हेल्सिंकी| जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने सोमवार को कहा कि यूरोपीय संघ की सुरक्षा नीति रूस के खिलाफ नहीं. बल्कि इसे साथ लेकर बनाई जानी चाहिए। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, फिनलैंड के प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर स्टब से यहां बातचीत के दौरान मर्केल ने यूरोपीय संघ की सुरक्षा नीति के मुद्दे पर रूस से संपर्क करने के महत्व पर जोर डाला।

मर्केल ने कहा कि यूरोपीय संघ एकजुट रहने में सक्षम और यूक्रेन संकट के समाधान को लेकर प्रतिबद्ध है।

चांसलर ने कहा कि जर्मनी ने आर्थिक संकट के दौरान अन्य देशों के साथ एकजुटता दिखाई है, लेकिन उन्होंने इसके साथ ही कहा कि जिन्हें सहायता मिल रही है, उन्हें उनकी समस्या के समाधान की पहल भी करनी चाहिए।

मर्केल की क्रिस्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी (सीडीयू) फिनिश कंजरवेटिव पार्टी की एक इकाई है। उनका फिनलैंड का दौरा फिनिश कंजरवेटिव को चुनाव प्रचार में मदद के रूप में देखा जा रहा है। फिनलैंड में अप्रैल में संसदीय चुनाव होने वाले हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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