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राष्ट्रपति के लिए मोहन भागवत के नाम का प्रस्ताव
मुंबई। शिवसेना ने सोमवार को केंद्र सरकार के समक्ष देश के अगले राष्ट्रपति के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के नाम का प्रस्ताव रखा। सभी को चौंकाते हुए शिवसेना सांसद और पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने कहा कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग), खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को देश के अगले राष्ट्रपति के लिए आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत के नाम पर विचार करना चाहिए, अगर वे ‘हिंदू राष्ट्र’ के अपने सपने को पूरा करना चाहते हैं।
राउत ने यहां पत्रकारों से कहा, “हमने पार्टी के अंदर इस बात पर विचार-विमर्श किया। यहां तक कि शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का भी विचार है कि भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के लिए भागवत को अगला राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए।”
राउत ने कहा कि एक कट्टर हिंदू राष्ट्रवादी के रूप में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं तथा एक और हिंदूवादी नेता आदित्यनाथ योगी देश की सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
शिवसेना नेता ने कहा, “भागवत तेज-तर्रार नेता हैं, कट्टर राष्ट्रवादी हैं और उन्हें संविधान की गहरी जानकारी है। इसलिए भाजपा यदि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है तो उसे भागवत के नाम पर जरूर विचार करना चाहिए। वह इस पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं।”
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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